नई दिल्ली । आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या और उनके हमलों के साथ एक और खतरनाक बीमारी का खतरा तेजी से बढ़ रहा है — रेबीज। यह एक घातक वायरल संक्रमण है, जो कुत्तों या अन्य जानवरों की लार के माध्यम से फैलता है। समय पर इलाज न हो तो यह बीमारी लगभग हमेशा जानलेवा साबित होती है।
दरअसल रेबीज एक वायरस जनित बीमारी है जो कुत्ते, बिल्ली, बंदर आदि के काटने या खरोंचने से होती है। वायरस तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है और दिमाग तक पहुंचने पर घातक हो जाता है।
रेबीज के लक्षण
किसी व्यक्ति को रेबीज होने का पता कैसे चलता है, इसके कुछ लक्षण यहां बताए जा रहे हैं। व्यक्ति को बुखार और बेचैनी, पानी से डर लगना, अत्याधिक लार आना, मानसिक भ्रम, बुरे सपने, दौरे और अंततः कोमा तक व्यक्ति चला जाता है।
क्या करें अगर कुत्ता काट ले?
घाव को तुरंत साबुन और पानी से 10-15 मिनट तक धोएं
नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाकर एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाएं
घाव पर कोई देसी इलाज न करें
यदि कुत्ता पालतू है तो उसका वैक्सीनेशन स्टेटस जांचें
इम्यूनोग्लोबुलिन इंजेक्शन (एचआरआईजी) की भी आवश्यकता हो सकती है
कैसे करें बचाव?
पालतू कुत्तों को रेबीज का टीका लगवाएं
बच्चों को आवारा कुत्तों से दूर रखें
गर्मी में कुत्तों को पानी उपलब्ध कराएं, ताकि वे तनावग्रस्त न हों
कुत्तों को उकसाएं नहीं
नगर पालिकाएं कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण अभियान चलाती हैं, उन्हें ऐसा करने के लिए कहा जा सकता है।
इसके अलावा पशु चिकित्सा विशेषज्ञों की राय में गर्मी में कुत्तों का व्यवहार बदल जाता है। तनाव और दुर्व्यवहार के कारण वे अधिक आक्रामक हो जाते हैं। ऐसे में कुत्तों के प्रति समाज में जागरूकता और सहानुभूति जरूरी है। अंतत: कुत्तों के काटने के मामलों को हल्के में न लें। तुरंत चिकित्सा सहायता लें और समय पर टीकाकरण कराएं। रेबीज का कोई इलाज नहीं है, सिर्फ रोकथाम ही सुरक्षा है।
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