झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग ने लिया संज्ञान,कार्रवाई का निर्देश
सुमन सिंह
दुमका । बिजली की समस्या के कारण शिकारीपाड़ा का पत्थर उद्योग संकट में है।क्रशर संचालकों को आर्थिक क्षति हो रही है।इस संबंध में शिकारीपाड़ा के एक सामाजिक कार्यकर्ता विकास कुमार भगत द्वारा ऊर्जा विभाग के सचिव और प्रशासनिक अधिकारियों को भेजी गई शिकायत पर झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग ने संज्ञान लेते हुए झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक (वाणिज्य एवं राजस्व) को कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।इस मामले में की गई कार्रवाई की जानकारी शिकायतकर्ता श्री भगत के साथ ही आयोग को देने का भी निर्देश दिया गया है।अपने पत्र में विकास कुमार भगत ने लो वोल्टेज और बिजली से संबंधित अन्य समस्याओं से पत्थर उद्योग को हो रहे नुकसान से अधिकारियों को अवगत कराते हुए क्षतिपूर्ति भुगतान की मांग भी किया है।बरमसिया पावर सब स्टेशन के कंट्रोल रूम को अधिकारियों के सख्त निगरानी में चलाने की जरूरत बताई गई है।झारखंड के ऊर्जा सचिव के साथ ही संताल परगना के प्रमंडलीय आयुक्त और दुमका के उपायुक्त को ईमेल से भेजे गए पत्र में विकास कुमार भगत ने शिकारीपाड़ा के पत्थर उद्योग क्षेत्र में बिजली की कमी से हो रही समस्याओं और आर्थिक नुकसान पर ध्यान आकृष्ट किया है।बरमसिया पावर सब स्टेशन से इस पत्थर औद्योगिक क्षेत्र के क्रशर यूनिटों और आसपास गांवों में बिजली आपूर्ति होती है।पावर सब स्टेशन की जो क्षमता है उससे अधिक मात्रा में बिजली की सप्लाई होने से भी कई तरह की समस्याएं हो रही हैं। मानक के अनुरूप बिजली तार नहीं होने का आरोप लगाते हुए तारों की गुणवत्ता की जांच की भी मांग की गई है।लो वोल्टेज के कारण क्रशर प्लांट में कई बिजली उपकरणों के जल जाने से पत्थर कारोबारियों को लाखों का नुकसान हो रहा है।बिना सूचना के बिजली काट देना अलग समस्या है।
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पर्याप्त बिजली से गुलजार रहता है बंगाल का सुड़ीचुआं पत्थर उद्योग क्षेत्र
दुमका । झारखंड से सटे प.बंगाल के सुड़ीचुआं पर्याप्त मात्रा में बिजली मिलने से बंगाल का यह पत्थर उद्योग क्षेत्र गुलजार रहता है।झारखंड के पत्थर औद्योगिक क्षेत्र से महज 10 किमी की दूरी पर स्थित बंगाल के सुड़ीचुआं के स्टोन क्रशरों को नियमित बिजली आपूर्ति होती है।प.बंगाल के पावर सब स्टेशन के कंट्रोल रूम में अधिकारी नियमित रूप से तैनात रह कर निगरानी करते हैं। कभी बिजली काटने की नौबत भी आती है तो क्रशर संचालकों को इसकी पूर्व सूचना दे दी जाती है।नियमित बिजली आपूर्ति के कारण स्टोन क्रशरों के बेहतर संचालन से बंगाल के सुड़ीचुआं में स्टोन चिप्स का रेट झारखंड की अपेक्षा कम है।इसका सीधा असर शिकारीपाड़ा के पत्थर मंडी पर पड़ रहा है।बिहार और झारखंड की अधिकांश गाड़ियां बंगाल के सुड़ीचुआं पत्थर उद्योग क्षेत्र से स्टोन चिप्स ले जा रही हैं।इससे झारखंड के पत्थर कारोबारियों को आर्थिक क्षति हो रही है।