अशोक कुमार
उडिशा के पूर्व राज्यपाल रघुवर दास के राज्यपाल पद से इस्तीफा देने के बाद गुरूवार को रांची हवाई अडृडे पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने उनका भव्य स्वागत किया । ताशा पार्टी के साथ कार्यकर्ता नाचे झूमे और आतिशबाजियां कीं। दो दिनों तक उनके सरकारी आवास पर उन्हें पुष्पगुच्छ देनेवालों का तांता लगा रहा; उनमें कई गैर राजनीतिज्ञ लोग, ब्यूरोक्रेट, पार्टी के एमपी, पूर्व विधायक व राज्य के विभिन्न भागों से आऐ भाजपा व मोर्चा के युवा कार्यकर्ता भी थे। प्रिंट मीडिया से लेकर इलेक्ट़ोनिक मीडिया के पत्रकार उनसे लगातार इंटरव्यू लेते रहे और उसे प्रसारित करते रहे। प्राय: हर जाति के कार्यकर्ता उनसे मिले और उन्हें शुभकामनाएं दी, मालूम हो कि इन दिनों रघुवर दास किसी भी पद पर नहीं हैं। वे भाजपा के साधारण सदस्य तक नहीं हैं, फिर भी उनके प्रति कार्यकर्ताओं का आकर्षण आखिर क्या संदेश देता है, भाजपा के कार्यकर्ता और नेता यह समझ गए हैं कि केंद्रीय नेतत्व उन्हें संगठन में कोई महत्वपूर्ण पद देने जा रहा है। ज्यादा उम्मीद है कि उन्हें प्रदेश भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए या फिर केंद्रीय संगठन में भी महत्वपूर्ण दायित्व दिया जा सकता है, रघुवर दास केंद्रीय नेतत्व के समक्ष यह इच्छा जाहिर कर चुके हैं कि वे अपनी कर्मभूमि व जन्मभूमि की ही सेवा करना चाहते हैं।
स्वभाव व व्यवहार में परिवर्तन
रघुवर दास के व्यवहार और स्वभाव में परिवर्तन देखने को मिला, जब वे झारखंड के मुख्यमंत्री थे तो भाजपा कार्यकर्ताओं को उनसे मिलने के लिए घंटों इंतजार करना पडता था। जब वे कार्यकर्ताओं से मिलते भी थे तो उनका व्यवहार सदभावपूर्ण नहीं होता था। उन दिनों कार्यकर्ता उनसे मिलने के बाद बहुत खुश होकर नहीं लौटते थे, लेकिन २०19 का चुनाव हारने के बाद उनके स्वभाव में थोडा परिवर्तन आया है, आज की तारीख में जो कार्यकर्ता उनसे मिलने जाते हैं तो दूर से ही उसका नाम पुकारते हैं और बैठने को कहते हैं चाय पानी लिया की नहीं , यह भी पूछते हैं। जब वे उडीसा के राज्यपाल थे तो कई कार्यकर्ताओं को पूरी का दर्शन कराने बुलाए और राजभवन मे ठहराकर भोजन आदि भी करवाया। मुझे 2019 के विधानसभा चुनाव की वह घटना भी याद है जब राज्य के विभिन्न भागों से आए भाजपा नेता और कार्यकर्ता ,जिनमे कुछ महिलाएं भी थी उनसे मिलने और उन्हें बुके देने उनके आवास पर गए थे, उस समय के मुख्यमंत्री रघुवर दास जब अपने घर से निकले और सामने बुके लेकर खडे कार्यकर्ताओ को देखे तो बुके लेने की बजाय उन्हें झारते हुए कहा आपलोग यहां किसलिए आए हैं जाइए अपने-अपने क्ष़ेत्र में पार्टी उम्मीदवार को जिताने का काम कीजिए। यह कहकर सीधे गाडी मे जाकर बैठ गए, कार्यकर्ताओं के हाथों में ही बुके आदि रह गए। इसी तरह जब वे राज्यपाल थे और टाटा अपने आवास आए हुए थे तो विधानसभा चुनाव मे टिकट दिलाने में मदद के लिए एक नेता ने उनसे अनुरोध किया तो वे गुस्सेे में आकर बोले क्या मैं यहां टिकट दिलाने आए हैं, जाइए यहां से टिकट दिलाने का काम पार्टी नेता करते हैं, उस कार्यकर्ता को जबाव तो उन्होंने सही दिया लेकिन जबाव देने का उनका तरीका सही नहीं था। लेकिन अब वे पहले वाले रघुवर दास नहीं हैं, उनमें स्वभाव और व्यवहार में परिवर्तन आया है। रघुवर दास में एक कमी मैंने महसूस किया कि उनमें विनम्रता का अभाव है, जो विनम्रता मैंने कर्पूरी ठाकुर,शिबू सोरेन, हेमंत सोरेन, बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा और सरयू राय सरीखे नेताओं में देखी। वैसा रघुवर दास में नहीं पाया लेकिन समय के चक्र के साथ अब उनमें विनम्रता का पुट देखने को मिलने लगा है। किसी भी इंसान में विनम्रता वह गुण है जो आदमी को उॅचाई तक ले जाता है, आज मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जिस उचाई पर हैं, उसमें उनके विनम्र व्यवहार का महत्वपूर्ण योगदान है। मुझे उम्मीद है कि रघुवर दास अपने व्यवहार से आम भाजपा कार्यकर्ताओं का दिल जीतने और अपने भावी पद की गरिमा बढाने का काम करेंगे।