कर्मचारियों के हड़ताल एवं कायम गतिरोध समाप्त करने को लेकर संघ ने लिखा पत्र
कहा: तीन महीनों से पगार नहीं मिलने से कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति चरमराई
विश्वविद्यालय प्रशासन की उदासीनता एवं संवेदनहीनता के वजह से कर्मचारी हो रहे हैं उग्र
विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग ने अपने अधीनस्थ शिक्षकेतर कर्मियों को पुनःएसीपी एमएसीपी का भुगतान पूर्व की भांति अतिरिक्त स्रोत से बहाल पर एसकेएमयू ने साधी चुप्पी: नेतलाल मिर्धा
दुमका। विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग ने अपने अधीनस्थ शिक्षकेतर कर्मियों को पुनः एसीपी एमएसीपी का भुगतान पूर्व की भांति अतिरिक्त स्रोत से जारी रखना की स्वीकृति दे दी है पर एसकेएमयू प्रशासन चुप्पी साधे हुए हैं। उक्त बातें विश्वविद्यालय प्रशासन के रवैया से आहत एसकेएमयू विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय प्रक्षेत्रीय कर्मचारी महासंघ के पदाधिकारी ने कही है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन यह रिश्ता शिक्षकेतर कर्मियों के प्रति क्या कहलाता है ?। मंगलवार को विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय प्रक्षेत्रीय कर्मचारी महासंघ के महासचिव नेतलाल मिर्धा ने विश्वविद्यालय के कुल सचिव को प्रक्षेत्रीय कर्मचारियों के हड़ताल एवं कायम गतिरोध समाप्त करने को लेकर एक पत्र लिखा है। जिसमें कहा गया है कि 80 दिनों से कर्मी हड़ताल पर हैं पर कोई सुधी लेने वाला नहीं है।
उन्होंने कहा कि पिछले आठ महीनों से उच्च शिक्षा निदेशालय द्वारा वेतन निर्धारण के अनुमोदन के कार्य को उपनिदेशक डॉक्टर अनमोल कुमार लाल द्वारा लगातार अड़चन डाला जा रहा है, यह दु:खद पहलू है। उन्होंने कहा कि कर्मी अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं। अल्प वेतन भोगी कर्मियों को विगत तीन माह से वेतन नसीब नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन की उदासीनता एवं संवेदनहीनता की वजह से कर्मचारी उग्र होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कर्मी बंधेज पत्र देने को तैयार हैं फिर भी विश्वविद्यालय मौन है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन के साथ सहमति की स्थिति में हड़ताल वापस लेने पर विचार किया जा सकता है। इस मांग पत्र को लेकर राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग, मुख्य न्यायाधीश, प्रधान सचिव, कुलपति सहित संबंधित सभी संस्थाओं को मांग पत्र भेजा गया है।