समाचार विश्लेषण
चंदन मिश्र
लोकसभा चुनाव के बाद देश के दो राज्यों के चुनाव परिणाम की खासी चर्चा हो रही है। हरियाणा विधानसभा का परिणाम ने देश भर को चौंकाया है। मीडिया में दो महीने पहले से कांग्रेस के पक्ष में हवा चलाने वाला मीडिया का पूर्वानुमान और उनके एग्जिट पोल इस बार औंधे मुंह गिरे हैं। लगभग सभी मीडिया ने कांग्रेस को हरियाणा में बंपर जीत का अनुमान को हकीकत बता चुका था। लेकिन मतगणना के दिन सारे आकलन और पूर्वानुमान धराशाई हो गए। जम्मू कश्मीर के चुनाव परिणाम अपेक्षा के अनुरूप ही रहे। हालांकि कांग्रेस ने यहां भी कोई खास नहीं किया। लेकिन हरियाणा के परिणाम ने देश भर के कांग्रेसियों और उनके समर्थक दलों सकते में डाल दिया।
हरियाणा का चुनाव परिणाम दो महीने बाद झारखंड और महाराष्ट्र में होनेवाले विधानसभा चुनाव पर जबरदस्त प्रभाव डालेगा। कांग्रेस और उसके गठबंधन के साथियों की फिलहाल परिणाम देखकर बोलती बंद है। झारखंड में सत्ताधारी झामुमो और कांग्रेस चुनाव परिणाम देखकर खुद को दुरुस्त करने में लग गए हैं। उधर भाजपा के नेता, कार्यकर्ताओं और समर्थकों का हौसला बुलंद है। इस जीत ने भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं में गजब का उत्साह भर दिया है। लोकसभा चुनाव में चार सौ का नारा देनेवाली पार्टी जब ढाई सौ से कम सीट पर सिमट गई थी, तो इसके नेता और कार्यकर्ता सहम गए थे। विपक्षी दलों की बोली खुल गई थी। विपक्ष इस कदर हमलावर हो गया था, मानों भाजपा चुनाव हार गई हो। लेकिन इस चुनाव ने सबको उत्साह और ऊर्जा से लबरेज कर दिया है। झारखंड में भाजपा नेता और कार्यकर्ताओं का उत्साह देखते बन रहा है। वैसे भी चुनाव को लेकर भाजपा अन्य दलों से बहुत आगे है। चुनावी अभियान, प्रचार और उम्मीदवारों के चयन को लेकर भाजपा बहुत आगे है। जब तक दूसरे दल चुनावी मैदान में आएंगे, तब तक भाजपा चार कदम आगे बढ़ चुकी होती है।
हरियाणा के चुनाव परिणाम में कई तत्व छिपे हैं। कांग्रेस ने जिस तरह वहां भाजपा को चुनाव के पहले ही मैदान में हार बताते हुए मीडिया और राजनीतिक हल्के में अपनी कथित जीत का परचम लहराने लगी थी, कांग्रेस इसी अति आत्मविश्वास की शिकार हो गई। कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई, नेताओं का बडबोलापन और किसान, जवान पहलवान को जीत का सबब बता रही थी, हर मोर्चे पर धोखा खा गई। वहीं भाजपा ने शांत रहकर सभी वर्ग के वोटरों तक घर घर पहुंच कर अपना विश्वास कायम कर लिया। और इस तरह एक हारी हुई बाजी जीतने में कामयाब हो गई। भाजपा फिलहाल अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदियों से बहुत आगे है। चुनाव तक भाजपा इसी उत्साह और ऊर्जा से भरी रही तो अपने प्रतिद्वंदियों पर भारी पड़ेगी।