नई दिल्ली । एनआरआई (गैर-आवासीय भारतीय) बनने का सपना लंबे समय से भारतीय समाज में आकर्षण का केंद्र बना रहा है। खासकर मध्यमवर्गीय परिवारों में यह धारणा पैठ कर गई है कि विदेश में रहने वाला जीवन अधिक समृद्ध, सुविधाजनक और सुरक्षित होता है। इस सोच ने कई परिवारों को अपनी बेटियों की शादी एनआरआई युवकों से करने के प्रति उत्साहित किया है। इसके विपरीत हाल के वर्षों में यह सपना टूटने के कई मामले सामने आए हैं, जहां शादियों का अंत तलाक पर होता दिखा है।
कई मामलों में देखने को मिला है कि शादी से पहले एनआरआई दूल्हे द्वारा बेहतर जीवन और स्थायी वीजा का वादा किया जाता है, लेकिन हकीकत इससे कहीं अलग निकलती है। विदेश में नौकरी या रहने की स्थिति अक्सर वैसी नहीं होती जैसी कि बताई जाती है। कई महिलाएं शादी के बाद भी लंबे समय तक अस्थायी वीजा या डिपेंडेंट स्टेटस पर हरने को मजबूर होती हैं, जिससे उनकी आज़ादी या तो छिन जती है या फिर सीमित हो जाती है। उनके लिए एक नया देश, अजनबी माहौल और अपरिचित भाषा का सामना करना मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालने जैसा होता है। कुछ महिलाओं को विदेश में जाकर जिस जीवन की कल्पना होती थी, वह पूरी तरह बदल जाती है। विदेश में अकेलेपन के साथ अगर पति या ससुराल वाले हिंसक या भावनात्मक रूप से अपमानजनक व्यवहार करते हैं तब स्त्रियों के पास तलाक का ही विकल्प बचता है। यही कारण है कि बहुओं द्वारा तलाक मांगे जाने के मामले भी बढ़ गए हैं। ऐशो-इशरत वाली महंगी जीवनशैली और सीमित संसाधनों के चलते आर्थिक तनाव भी रिश्तों में खटास लाने की मुख्य वजह होती है।
राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) और विभिन्न राज्य महिला आयोगों में ऐसे कई मामले दर्ज हुए हैं, जहां एनआरआई शादियों के बाद महिलाओं ने धोखा, हिंसा या परित्याग की शिकायत की है। विदेश मंत्रालय ने 2017 से अब तक ऐसे मामलों के लिए एक विशेष एनआरआई वैवाहिक विवाद सेल भी प्रारंभर किया गया है, ताकि पीड़ित महिलाओं को कानूनी और दूतावास स्तर पर मदद मिल सके।
इन सब से हटकर कुछ ऐसे भी मामले आए हैं जिनमें पति का दूसरी महिलाओं से संबंध होता है या वे विदेश में रहते हुए पहले से ही किसी और से शादी कर चुके होते हैं और उस संबंध को छिपाकर भारत में अन्य लड़की से भी विवाह कर लेते हैं। रिश्ता या संबंध उजागर होने पर तलाक की नौबत आ जाती है। इनके अलावा दोनों के बीच विचारों में भारी मतभेद भी तलाक की वजह बनते हैं।
पारिवारिक हस्तक्षेप
भारत से दूर होने के बावजूद, कुछ परिवार पति-पत्नी के रिश्तों में अत्याधिक हस्तक्षेप करते हैं, जिससे वैवाहिक जीवन अस्थिर हो जाता है। एनआरआई बनने का सपना यदि सजगता और पारदर्शिता के साथ न देखा जाए, तो वह एक दुःस्वप्न में बदल जाता है। जानकारों की मानें तो विवाह से पहले पूरी जांच-पड़ताल कर लेनी चाहिए, पारस्परिक संवाद और कानूनी समझौते जैसे कदम इस तरह की घटनाओं को रोक सकते हैं। इसके साथ ही बेहतर परिणाम के लिए बताया जाता है कि सरकार और समाज दोनों को मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विदेश में रहने वाली भारतीय बहुएं अपने अधिकारों से वंचित न रहें और उन्हें हर हाल में बेहतर न्याय मिल सके।
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