राज्य और राजनीति
चंदन मिश्र
झारखंड विधानसभा का चुनाव सिर पर है। चुनाव लड़ने के लिए राजनीतिक पार्टियां जितनी रेस हुई हैं, उससे कहीं ज्यादा रेस दलों से लड़नेवाले संभावित उम्मीदवार हैं। टिकट पाने की जुगत में भाजपा के उम्मीदवार हर जुगाड़ में लग गए हैं। लेकिन किसे टिकट मिलेगा, किसे नहीं यह पार्टी के चंद नेताओं को ही पता होगा। भाजपा ने विधानसभा की हर सीट के लिए अलग-अलग सर्वेक्षण करवाए हैं। सीटिंग उम्मीदवारों से लेकर पिछले चुनाव में दूसरे स्थान पर रहनेवाले उम्मीदवारों की भी राजनीतिक कुंडलियां खंगाली गई हैं। पार्टी की जिला इकाई, विधानसभा क्षेत्र के प्रभारी, प्रदेश अध्यक्ष, प्रदेश के संगठन महामंत्री, प्रदेश प्रभारी और नेता प्रतिपक्ष, ऐसे कई स्तरों पर उम्मीदवारों की संभावित सूची पर काम चल रहा है। क्षेत्रीय सांसदों से भी उनके विधानसभा क्षेत्र के संभावित उम्मीदवारों के लिए सुझाव मांगे गए हैं। वर्तमान सभी विधायकों की कार्य प्रणाली, क्षेत्र में जनता की राय, पार्टी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की राय को भी सर्वेक्षण रिपोर्ट में संलग्न किया गया है।
प्रदेश के हर विधानसभा क्षेत्र के दलीय, जातीय तथा राजनीतिक समीकरण को ध्यान में रखते हुए, जीत सुनिश्चित कराने वाले योग्य उम्मीदवारों के नाम सूचीबद्ध किए जा रहे हैं।
पार्टी के अंदर अभी दो-तीन प्रमुख नेता हैं, जिनकी अनुशंसा मायने रखेगी। संसदीय बोर्ड से उम्मीदवारों के नामों पर अंतिम मुहर लगने से पहले प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी और संगठन महामंत्री कर्मवीर सिंह भाजपा के अंदर दो महत्वपूर्ण शख्स हैं, जिनकी आंखों के सामने से सभी उम्मीदवारों के नाम अंतिम तौर पर गुजरेंगे। भाजपा इसी लिहाज से उम्मीदवारों की सूची तैयार कर रही है।
2019 विधानसभा चुनाव में भाजपा के 25 उम्मीदवार जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। दो महीने के बाद बाबूलाल मरांडी जेवीएम से भाजपा में शामिल हुए थे। इस तरह से भाजपा के 26 विधायक हो गए। लेकिन इस साल हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा के हजारीबाग विधायक मनीष जायसवाल और बाघमारा के विधायक ढुलू महतो लोकसभा चुनाव लड़कर जीते और लोकसभा पहुंच गए। सिंदरी के वर्तमान भाजपा विधायक इंद्रजीत महतो बीमारी की वजह से अभी तक लंबे समय से अस्पताल में इलाजरत ही हैं। भाजपा के शेष 22 विधायकों में सबकी वर्तमान स्थिति का आकलन भी उन्हें टिकट दिलाने में अहम भूमिका निभाएंगे। वैसे भाजपा के वर्तमान विधायकों में सिर्फ उन्हीं विधायकों को टिकट से वंचित किया जा सकता है, जिनकी रिपोर्ट सबसे खराब निकल कर आई होगी। वैसे इसकी संभावना बहुत कम है कि वर्तमान विधायकों में किसी का टिकट कटेगा। वैसे भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में ही अंतिम तौर पर तय होगा कि वर्तमान विधायकों में किसका टिकट कटता है। रांची के साथ सटी हुई कांके की सीट से भाजपा अपना उम्मीदवार बदल सकती है। इसके अलावा एक दो सीटों पर भी उम्मीदवार बदले जा सकते हैं।
भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव में 53 विधानसभा सीटों पर लीडिंग पोजीशन में आई है। इसलिए पहली प्राथमिकता में भाजपा इन सभी सीटों पर पूरी ताकत झोंकेगी। हजारीबाग और बाघमारा में नए चेहरे उतारे जाएंगे। दोनों सीटिंग विधायक सांसद बन चुके हैं। चार-पांच सीटों पर भाजपा उम्मीदवार इधर – उधर कर सकती है।
भाजपा के लिए राज्य की आदिवासियों की आरक्षित 28 सीटों में आधी से ज्यादा सीटें जीतने की सबसे बड़ी प्राथमिकता है। पिछले चुनाव में 28 आरक्षित सीटों में भाजपा सिर्फ दो सीटें ही जीत पाई थी, इसलिए भाजपा आरक्षित सीटों में सबसे बड़े दांव खेलेगी। बड़े चेहरे और उम्मीदवार इन सीटों पर उतारे जाएंगे।
तीसरी प्राथमिकता में भाजपा अपने हिस्से की अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों पर ध्यान केंद्रित करेगी। इनमें से भाजपा के पास देवघर, जमुआ, चंदनकियारी, कांके, सिमरिया, छतरपुर सीटें अभी हैं। झामुमो के पास जुगसलाई तथा लातेहार और राजद के पास चतरा सीट है। भाजपा इन सीटों को अपने कब्जे में लेना चाहेगी।
भाजपा के सहयोगी दलों में आजसू पार्टी और जदयू भी चुनाव मैदान में उतरेगा। आजसू को कितनी सीटें हिस्से में जाएगी, इसके बाद ही भाजपा के सीटों का सही आकलन होगा। 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और आजसू का गठबंधन नहीं हो पाया था, जिसका खामियाजा भाजपा और आजसू, दोनों को भुगतना पड़ा। इस बार भाजपा कितने आयातित उम्मीदवारों को टिकट देगी, इस पर हार जीत निर्भर करेगा। पिछले चुनाव में सभी आयातित उम्मीदवार चुनाव हार गए थे। लिहाजा भाजपा इस बार फूंक फूंक कर कदम रखेगी।