नई दिल्ली । दुनिया की सबसे बड़े दल भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा? राजनीतिक गलियारों में फिलहाल यह सबसे बड़ा प्रश्न हैं, जिसका जवाब तलाशने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी सहित कई नेता मंथन में जुटे। पीएम मोदी की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात हुई और केंद्रीय मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और जेपी नड्डा सहित कई अन्य नेताओं से भी उनकी लंबी बैठक चली। इसके बाद से ही चर्चा है कि जल्दी ही संगठन में बदलाव होगा और सरकार में भी नए चेहरों को मौका मिल सकता है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि मीटिंग का मुख्य एजेंडा यही था कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए किसका नाम आगे बढ़ाया जाए। मीटिंग में कुछ नेताओं के नामों पर मंथन हुआ और चर्चा है कि 20 अप्रैल के बाद कभी भी नए अध्यक्ष का ऐलान हो सकता है।
इस बैठक में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, बंगाल, कर्नाटक जैसे बड़े राज्यों को लेकर भी चर्चा हुई कि इसमें किसे प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए। अब तक भाजपा ने 15 राज्यों में नए अध्यक्ष चुन लिए हैं और करीब 7 राज्यों में बाकी हैं। इनमें भी पार्टी नेतृत्व तय होने के बाद 20 अप्रैल के बाद से राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू होगी। सूत्रों का कहना है कि इसी सप्ताह के अंत तक यानी 20 अप्रैल तक यूपी, बंगाल जैसे राज्यों के अध्यक्ष घोषित हो सकते हैं। इसके बाद ही राष्ट्रीय अध्यक्ष पर फैसला होगा। 2027 में यूपी विधानसभा चुनाव हैं और अब जो अध्यक्ष होगा, उसी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा। यह देखकर सामाजिक और क्षेत्रीय समीकरणों को साधते हुए ही पार्टी नए लीडर का चुनाव करेगी।
बताया जा रहा हैं कि भाजपा किसी पिछड़े लीडर को अध्यक्ष बना सकती है। अब तक अध्यक्ष रहे भूपेंद्र सिंह जाट बिरादरी से आते हैं। अब किसी नए ओबीसी नेता को मौका मिल सकता है। इन नेताओं में पशुपालन मंत्री धर्मपाल सिंह का नाम भी चल रहा है। इसके अलावा केंद्रीय राज्य मंत्री बीएल वर्मा, जलशक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह के नाम पर भी चर्चा की जा सकती है। एक समीकरण यह भी साधा जाएगा कि नए अध्यक्ष की सीएम योगी आदित्यनाथ से भी पटरी खाए।
वहीं स्वतंत्र देव पहले भी अध्यक्ष रहे हैं और पार्टी में बेहद प्रभावशाली हैं। इसके बाद उन्हें भी मौका मिल जाए, तब हैरानी नहीं होगी। लेकिन जिस तरह से भाजपा फैसले लेती रही है, उसमें पूरी संभावना है कि किसी नए नेता को ही मौका मिलेगा। ब्राह्मणों की उपेक्षा के आरोप भी लगते रहे हैं। इसतरह उस समीकरण को साधने के लिए ब्राह्मण चेहरे पर भी दांव लग सकता है। इसमें पूर्व सांसद हरीश द्विवेदी और दिनेश शर्मा के नाम भी आगे चल रहे हैं।
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