राज्य और राजनीति
चंदन मिश्र
झारखंड में 49 नगर निकाय क्षेत्र में चुनाव कब होंगे, यह सवाल सबके जहां में घूम रहा है। सरकार अंदर ही अंदर इसकी तैयारी में जुटी हुई है। लेकिन चुनाव कराने वाले संवैधानिक संस्था चुनाव आयोग में अभी चुनाव आयुक्त का पद खाली है। सरकार को जल्द से जल्द चुनाव आयुक्त की नियुक्ति करनी होगी। एक तरफ हाईकोर्ट में चुनाव कराने को लेकर लगातार सुनवाई हुई तो दूसरी तरफ राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ओबीसी सर्वे का काम पूरा कर चुका है। निकाय चुनाव दलगत आधार पर नहीं होंगे। पर राजनीतिक दल के नेता चुनावी मैदान में ताल ठोकते नजर आयेंगे।
दलगत आधार पर चुनाव नहीं
हेमंत सोरेन सरकार निकाय चुनाव दलगत आधार पर नहीं कराना चाहती है। झारखंड में निकाय चुनाव का इंतजार बहुत जल्द खत्म होने जा रहा है। हाईकोर्ट की सख्ती के बाद राज्य में निकाय चुनाव को लेकर राज्य सरकार गंभीर हो गई है। राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के द्वारा ओबीसी सर्वे का काम भी जिला स्तर पर पूरा किया गया है। राज्य में 9 नगर निगम, 20 नगर परिषद और 20 नगर पंचायत क्षेत्र है। राज्य की हेमंत सोरेन सरकार निकाय चुनाव दलगत आधार पर नहीं कराना चाहती है। पूर्व में मेयर रह चुके उम्मीदवार फिर एक बार चुनावी मैदान में उतरने को तैयार दिख रहे हैं।
2 सालों से लंबित है चुनाव
राज्य में कई नगर निकाय क्षेत्र में करीब दो साल से चुनाव लंबित है। राज्य के मुख्य विपक्षी दल भाजपा लगातार हेमंत सोरेन सरकार को इस मामले में घेरने में लगी है। भाजपा का आरोप है कि राज्य सरकार चुनाव नहीं करा कर शहर का विकास रोकना चाहती है। पिछले दो वित्तीय वर्ष की बात करें तो चुनाव नहीं होने से केंद्र सरकार से मिलने वाली लगभग 1500 करोड़ की राशि से झारखंड वंचित रह गई है।
49 नगर निकाय क्षेत्र में विकास प्रभावित
नगर निकाय के चुनाव नहीं होने से राज्य भर के 49 नगर निकाय क्षेत्र में विकास प्रभावित है। अब ट्रिपल टेस्ट के साथ नगर निकाय चुनाव की संभावना बढ़ी है। हालांकि इस चुनाव में राजनीतिक दलों का झंडा नहीं दिखेगा। लेकिन, झंडा थामने वाले नेता जरूर चुनाव लड़ते दिख जायेंगे।
किस वोटर लिस्ट पर होगी वोटिंग?
झारखंड में नगर निगम और निकाय चुनाव मामले में दायर अवमानना याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने सुनवाई की। राज्य निर्वाचन आयोग ने कहा कि वार्डवार वोटर लिस्ट अलग कर चुनाव की अधिसूचना जारी की जायेगी। इसमें कम से कम ढाई माह लगेंगे। विधानसभा चुनाव की वोटर लिस्ट पर ही निकाय चुनाव का मतदान होगा।
रांची-झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने राज्य में नगर निगम और निकाय चुनाव मामले में दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई की। मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने प्रार्थी, राज्य सरकार, राज्य निर्वाचन आयोग व भारत निर्वाचन आयोग (इसीआइ) का पक्ष सुना। अदालत ने भारत निर्वाचन आयोग के शपथ पत्र को देखने के बाद कहा कि झारखंड विधानसभा चुनाव में उपयोग किया गया वोटर लिस्ट ही अपडेटेड वोटर लिस्ट है, जिसके आधार पर नगर निकाय चुनाव कराया जा सकता है।
वार्डवार वोटर लिस्ट अलग होगी, चुनाव की अधिसूचना जारी होगी
राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से कहा गया कि भारत निर्वाचन आयोग से वोटर लिस्ट मिल गयी है। उसके आधार पर वह चुनाव में आगे बढ़ेगा। वार्डवार वोटर लिस्ट अलग कर चुनाव की अधिसूचना जारी की जायेगी। वार्डवार वोटर लिस्ट तैयार करने में कम से कम 75 दिन लग जायेंगे। अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद मामले की अगली सुनवाई के लिए 12 सप्ताह के बाद की तिथि निर्धारित करने को कहा था। इससे पूर्व भारत निर्वाचन आयोग की ओर से शपथ पत्र दायर कर बताया गया कि 13 जनवरी को ही लेटेस्ट पुनरीक्षित वोटरलिस्ट राज्य निर्वाचन आयोग को सौंप दी गयी थी। इस वोटरलिस्ट से झारखंड में नवंबर माह में विधानसभा का चुनाव कराया गया है। देश के चार राज्यों जैसे हरियाणा, झारखंड, महाराष्ट्र व जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराया गया है। इन राज्यों में एक अप्रैल 2025 तक वोटरलिस्ट का कोई पुनरीक्षण नहीं होना है। इसलिए 13 जनवरी को सौंपी गयी वोटरलिस्ट, जो एक अक्तूबर 2024 तक पुनरीक्षित है, के आधार पर राज्य निर्वाचन आयोग नगर निकाय का चुनाव करा सकता है।
एकल पीठ के आदेश का पालन कराने की मांग की गयी थी।
प्रार्थी रोशनी खलखो व अन्य की ओर से अवमानना याचिका दायर कर एकल पीठ के आदेश का पालन कराने की मांग की गयी है। एकल पीठ ने चार जनवरी 2024 को तीन सप्ताह के अंदर नगर निकाय चुनाव कराने के लिए अधिसूचना जारी करने का आदेश दिया था। पूर्व की सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से नगर निकाय चुनाव कराने के लिए चार माह का समय की मांग की गयी थी।
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