संताल एक्सप्रेस संवाददाता
श्रीराम भगत
अमड़ापाड़ा(पाकुड़)-एक ओर जहां जिला प्रशासन प्रतिशील पाकुड़ के सपने को साकार करने का दावा करता है वहीं जिले का एक गांव ऐसा भी है जो अब तक विकास की रोशनी से कोसों दूर है. यह कहानी अमड़ापाड़ा प्रखंड के बड़ा बास्को पहाड़ गांव की है जहां ग्रामीणों ने सरकारी उदासीनता से निराश होकर अपने दम पर सड़क निर्माण कर मिसाल पेश की है. वर्षों से सड़क निर्माण की मांग कर रहे ग्रामीणों ने आखिरकार प्रशासन से उम्मीद छोड़ स्वयं फावड़ा और कुदाल उठाकर सामूहिक श्रमदान से कच्ची सड़क बना डाली. गुरुवार को गांव के पहाड़िया समुदाय के महिला, पुरुष, युवक-युवतियों ने मिलकर सड़क निर्माण कार्य की शुरुआत की. ग्रामीणों ने बताया कि बार-बार आवेदन देने और जनसुनवाई में गुहार लगाने के बावजूद स्थानीय और जिला प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया.बरसात के दिनों में गांव पूरी तरह से कीचड़ और पानी से भर जाता है जिससे आवागमन लगभग ठप हो जाता है. बीमार व्यक्ति को चारपाई पर उठाकर मुख्य सड़क तक ले जाना पड़ता है और बच्चों को स्कूल जाने में भारी कठिनाई होती है.
स्थानीय प्रशासन पर लापरवाही का आरोप :- ग्रामीणों ने जिला और प्रखंड प्रशासन पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि कई बार आवेदन देने के बावजूद हमारी बातों को अनसुना किया गया. बरसात के मौसम में स्थिति इतनी बदतर हो जाती है कि न एंबुलेंस आ पाती है और न ही कोई आपातकालीन सेवा. ऐसे में किसी बीमार को अस्पताल पहुंचाना किसी युद्ध से कम नहीं होता.कुंभकर्ण की नींद में प्रशासन, ग्रामीणों ने खुद जगाई उम्मीद :- ग्रामीणों का कहना है कि उनका यह प्रयास प्रशासन को कुंभकर्ण की नींद से जगाने का संदेश है. उन्होंने जिला एवं स्थानीय प्रशासन से अपील की कि अब तो गांव की दुर्दशा पर ध्यान दिया जाए और स्थायी सड़क निर्माण की दिशा में ठोस कदम उठाया जाए. ग्रामीणों ने कहा कि सरकार विकास के दावे तो करती है पर जमीनी हकीकत बिल्कुल उलट है.
ग्रामीणों ने बनाया अस्थायी सड़क, पक्की सड़क की मांग :- ग्रामीणों द्वारा श्रमदान से बनाई गई यह अस्थायी सड़क गांव को मुख्य मार्ग से जोड़ती है. ग्रामीणों ने मांग की है कि इसे जल्द से जल्द पक्की सड़क में तब्दील किया जाए ताकि भविष्य में आवागमन की समस्या स्थायी रूप से समाप्त हो सके.विकास योजनाओं की जमीनी सच्चाई :- हालांकि राज्य और केंद्र सरकार द्वारा ग्रामीण सड़कों के लिए कई योजनाएं जैसे प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना चलाई जा रही हैं. परंतु इनका लाभ अब भी कई गांवों तक नहीं पहुंच पाया है. कुछ ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम स्तर पर जवाबदेही और पारदर्शिता बढ़ाई जाए तो ऐसी समस्याओं को आसानी से दूर किया जा सकता है.
स्वावलंबन और एकजुटता की मिसाल :- बड़ा बास्को पहाड़ गांव के ग्रामीणों का यह कदम न सिर्फ सड़क निर्माण की दिशा में पहल है बल्कि स्वावलंबन, एकजुटता और आत्मनिर्भरता की मिसाल भी है. जिस काम को प्रशासन वर्षों से नहीं कर सका उसे ग्रामीणों ने अपने परिश्रम से संभव कर दिखाया. अब जिम्मेदारी प्रशासन की है कि वह इस लोकशक्ति को सम्मान देते हुए गांव को बेहतर सड़क सुविधा प्रदान करे. सामूहिक श्रमदान में शामिल ग्रामीण :- सड़क निर्माण अभियान में शामिल प्रमुख ग्रामीणों में
जयप्रकाश पहाड़िया, शोभना पहाड़िया, जमुना पहाड़िया, देवा पहाड़िया, सीताराम पहाड़िया, दुर्गी पहाड़िन, सीता पहाड़िन, कमला पहाड़िया, जबरा पहाड़िया, कालू पहाड़िया, रामी पहाड़िन, चंद्रदेव पहाड़िया, सोनिया पहाड़िया, कदरा पहाड़िया, झोपड़ों पहाड़िया, मेहंदी पहाड़िन एवं दुबरी पहाड़िन शामिल रहे।