नई दिल्ली । हालिया पुरातात्विक खोजों ने यह बड़ा सवाल खड़ा किया है कि क्या हमारे पूर्वज नरभक्षी थे। वैज्ञानिकों को उत्तरी स्पेन के अटापुर्का स्थित ग्रैन डोलिना गुफा में इसतरह के साक्ष्य मिले हैं, जो संकेत देते हैं कि करीब 8.5 लाख वर्ष पहले प्राचीन मानव प्रजाति (होमो एंटिसेसर) अपने ही बच्चों का मांस खाती थी।
दरअसल पुरातत्वविदों ने एनक 2-4 वर्ष के बच्चे की गर्दन की हड्डी पाई, जिस पर साफ-साफ काटने और दांतों के निशान मौजूद हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार यह हड्डी होमो एंटिसेसर प्रजाति की है। हड्डी पर मौजूद कट यह साबित करते हैं कि बच्चे का सिर जानबूझकर अलग किया गया। गुफा में मिली करीब एक-तिहाई हड्डियों पर इसी तरह के निशान मिले हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि इन प्रारंभिक मनुष्यों ने बच्चों के साथ वैसा ही व्यवहार किया, जैसा वे शिकार किए गए जानवरों के साथ करते थे। अवशेषों पर पाए गए चीरे उसी प्रकार के हैं, जैसे किसी जानवर का मांस काटते समय बनते हैं।
कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि यह भोजन की कमी के कारण मजबूरी में किया गया “संकटकालीन नरभक्षण” हो सकता है। कुछ अन्य का कहना है कि यह अनुष्ठानिक (रिचुअल) प्रथा का हिस्सा रहा होगा। ब्रिटेन के चेडर गॉर्ज में 14,700 वर्ष पुराने इसतरह के अवशेष मिले, जहां खोपड़ियों को कप की तरह इस्तेमाल किया जाता था। वहीं केन्या में 14.5 लाख वर्ष पुराने हड्डियों पर भी इसी तरह के कट मार्क्स मिले है। यूरोप में कई स्थानों पर पुरानी हड्डियों पर जानबूझकर किए गए फ्रैक्चर और काटने के निशान मिले हैं।
इस खोज को अब तक का सबसे शुरुआती प्रत्यक्ष प्रमाण माना जा रहा है कि प्रारंभिक मानव अपने मृत साथियों या बच्चों को खाते थे। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह प्रथा सिर्फ जीवित रहने की मजबूरी नहीं, बल्कि कभी-कभी सामाजिक या सांस्कृतिक कारणों से भी जुड़ी हो सकती थी। यह शोध मानव विकास और प्राचीन समाजों की जीवनशैली को समझने में महत्वपूर्ण है। इससे यह भी पता चलता है कि मानव सभ्यता के शुरुआती चरणों में जीवन कितना कठोर और संसाधन-निर्भर था।