मुंबई। ‘भाबीजी घर पर हैं’ फेम अभिनेता सानंद वर्मा ने हाल ही में टीवी इंडस्ट्री की असलियत को लेकर अपनी स्पष्ट राय रखी। उन्होंने कहा कि टीवी कलाकारों को जो लोकप्रियता और पहचान मिलती है, वह स्थायी नहीं होती। जब तक अभिनेता टीवी पर दिखाई देता है, तब तक लोग उसे पहचानते और पसंद करते हैं, लेकिन जैसे ही वह स्क्रीन से गायब होता है, लोग उसे भूलने लगते हैं। अपने अनुभव को साझा करते हुए सानंद ने कहा कि टीवी की दुनिया में काम करना आसान नहीं है। इसमें कई चुनौतियां होती हैं, लेकिन इसके फायदे भी हैं क्योंकि यह माध्यम बड़े दर्शक वर्ग तक पहुंच प्रदान करता है।
सानंद का मानना है कि पहले टीवी ही ऐसा जरिया था जो सीधे लोगों के ड्रॉइंग रूम तक पहुंचता था, लेकिन अब ओटीटी प्लेटफॉर्म ने यह स्थिति बदल दी है। अब दर्शक किसी भी वक्त, कहीं से भी कंटेंट देख सकते हैं। इससे कलाकारों की पहुंच पहले से ज्यादा हो गई है, लेकिन इसके बावजूद टीवी की शोहरत का समय सीमित ही रहता है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि टीवी कलाकारों की लोकप्रियता एक तय समय के लिए होती है, जो उनके शो की अवधि पर निर्भर करती है। जैसे ही शो बंद होता है, उनकी पहचान धीरे-धीरे धुंधली होने लगती है।
सानंद वर्मा ने उदाहरण देते हुए कहा कि भाबीजी घर पर हैं जैसा शो कई वर्षों तक चल सकता है, लेकिन सामान्य तौर पर टीवी सीरियल्स की उम्र एक या दो साल से ज्यादा नहीं होती। उस दौरान अभिनेता को लोग जानते हैं, लेकिन शो खत्म होने के बाद न सिर्फ पहचान कम होती है बल्कि काम मिलने में भी दिक्कतें आने लगती हैं। कई बार कलाकारों को महीनों तक किसी प्रोजेक्ट का इंतजार करना पड़ता है और इस दौरान उन्हें छोटे-मोटे काम करके अपना गुजारा करना पड़ता है। सानंद ने यह भी कहा कि फिल्मों की तुलना में टीवी की छवि क्षणिक होती है। फिल्में एक बार दर्शकों के दिल में जगह बना लेती हैं तो लंबे समय तक याद रहती हैं, जबकि टीवी का असर खत्म होते ही कलाकार भी धीरे-धीरे दर्शकों की स्मृति से गायब होने लगते हैं।
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