रांची । आदिवासी बचाओ मोर्चा के तत्वावधान में कई आदिवासी संगठनों की ओर से शुक्रवार को जगन्नाथ मैदान (प्रभात तारा) में आदिवासी हुंकार महारैली का आयोजन हुआ। रैली में राज्य भर से हजारों आदिवासी अपने पारंपरिक हथियारों के साथ जुटे और कुरमी के एसटी का दर्जे की मांग का विरोध किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव ने कहा कि आदिवासियों ने कभी भी बीच सड़क में कर्मा, सोहराई नहीं मनाया। लेकिन कुरमी–कुडमी समुदाय जानबूझकर बीच सड़क में सोहराई मनाकर ढकोसलाबाजी कर रही है। उन्होंने कहा कि कुरमी आदिवासी बनने का नाटक कर रहे हैं। इसलिए इनसे बचने की जरूरत है। उन्होंने आदिवासी समुदाय के लोगों से कजुटता का आहवान किया।
गीताश्री ने कहा कि सैकड़ों साल पूर्व जब कुरमी झारखंड पहुंचे तब संथाल के आदिवासियों ने उन्हें सुरक्षा दी और आश्रय दिया। इसलिए आज भी कुरमी मांझी को भाई–भाई कहा जाता है। फिर भी समय–समय पर कुरमी–कुडमी समुदाय मौका पाकर मांझी को अपशब्द बोलने से नहीं कतराते हैं। गीताश्री उरांव ने कहा कि ये अपने इष्टदेव इंद्रदेव को छोड़कर। अपनी संस्कृति परंपरा को दाव में रखते हुए आदिवासी बनने के लिए उत्सुक हैं। लेकिन आदिवासी समुदाय ऐसा होने नहीं देगा।
फर्जी तरीके से आदिवासी बनना चाहते हैं कुरमी : धान
वहीं आदिवासी नेता देवकुमार धान ने कहा कि आज कुरमी समुदाय को गलतफहमी हो गई है। वे फर्जी तरीके से आदिवासी बनना चाहते हैं। लेकिन किसी भी कीमत पर कुर्मियों को आदिवासी वर्ग में शामिल होने नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि जब रेल रोको अभियान चलाया गया तो भाजपा ने कुर्मियों को दिल्ली बुला लिया, लेकिन इस घटना पर झामुमो खाामोश रहा। हमें इस बात को समझना होगा। उन्होंने कहा कि यह सही हुआ कि जेएलकेएम सुप्रीमो जयकुमार महतो को सही समय पर आदिवासी समुदाय ने पहचान लिया है। नहीं तो पता नहीं क्या होता। इसलिए आदिवासी समुदाय अपनी ताकत को पहचानें।
अशोक मुंडा ने कहा कि हमारा झारखंड, आदिवासियों के नाम से जाना जाता है। लेकिन कुछ दिन पूर्व कुरमी समुदायों की ओर से रेल टेका करने का काम किया गया था और इसे देखकर भी 28 आदिवासी विधायक क्यों चुप हैं क्योंकि विधायक जानते हैं कि यदि 28 आदिवासी विधायक आवाज उठाएंगे तो केंद्र भी हिल जाएगा। इसलिए कुरमी समुदाय को अपनी मांगों को वापस लेना चाहिए।
वहीं संगीता कच्छप ने कहा कि कुरमी समुदाय के इस मांग के खिलाफ लड़ेंगे और जीत हासिल करेंगे। राजेश उरांव ने कहा कि कुर्मियों को दोबारा जन्म लेना होगा फिर भी वे आदिवासी में शामिल नहीं हो सकते हैं। ये वोट की ताकत से डराना चाहते हैं। इसलिए किसी कीमत में इन्हें एसटी का दर्जा नहीं मिलने देंगे। इससे पूूूर्व जगन्नाथ मैदान में बडी संख्या में राज्यभर के आदिवासी समुदाय के सुबह से ही जुटने लगे थे। सभी लोग परंपरागत हथियार तीर-धनुष, कुल्हाडी, डंडे और दाउली से लैस थे।
धुुुुुर्वा क्षेत्र में लगी रही जाम
रैली में आनेवाले वाहनों के कारण धुर्वा क्षेत्र में जाम लगी रही। इसके अलावा हरमू बाइपास और मेन राेड में जाम की स्थिति बनी रही। इस अवसर पर देवकुमार धान, गीताश्री उरांव, प्रेमशाही मुंडा, बबलू मुंडा, लक्ष्मी नारायण मुंडा, अशोक मुंडा, सोमरा उरांव, संगीता कच्छप सहित झारखंड के कई जिलों के अलावा पश्चिम बंगाल और बिहार से भी लाेेग शामिल हुए।
आठ प्रस्ताव हुए पारितहुंकार महारैली के दौरान आठ प्रस्ताव भी पारित किए गए, जिनमें प्रमुख रूप से कुरमी-कुड़मी जाति की ओर से आदिवासी अनुसूचित जनजाति एसटी बनने की मांग मूल आदिवासियों के संवैधानिक अधिकार राजनीतिक प्रतिनिधित्व हिस्सेदारी, नौकरी, आरक्षण,जमीन और आदिवासियों के गौरवशाली इतिहास को हड़पने की मंशा से प्रेरित है, आदिवासी महिला की ओर से गैर आदिवासी पुरुष से विवाह करने के बाद उसका एसटी का दर्जा खत्म करने और आदिवासी पुरुष की ओर से गैर आदिवासी महिला से विवाह करने के बाद उस महिला को भी एसटी दर्जा नहीं देने, पांचवी अनुसूची क्षेत्र शिड्यूल एरिया में झारखंड सरकार अविलंब पेसा कानून के तहत पेसा नियमावली बनाकर लागू करे और आदिवासियों की धार्मिक, सामाजिक, भूंईहरी, रैयती जमीन की लूट खसौट, अवैध कब्जा, जबरन दख़ल, दस्तावेजों में हेराफेरी रोकने और आदिवासियों की जमीन वापसी के लिए विशेष आयोग का गठन करने सहित अन्य शामिल है।