राजीव झा,
जामताड़ा : जिले के दोनों विधानसभा सीट नाला और जामताड़ा बदलते राजनीतिक परिदृश्य में आज पूरी तरह आदिवासी फैक्टर वाली सीट बनकर रह गई है। जामताड़ा विधानसभा में कांग्रेस और भाजपा के बीच आमने-सामने की जंग है। एक तरफ भाजपा के हिंदू मतदाता तो दूसरी तरफ कांग्रेस के अल्पसंख्यक मतदाता, दोनों ही अपने-अपने वोट बैंक को लेकर इतरा रहे हैं। इस बीच जीत हार के लिए जो सबसे जरूरी फैक्टर बना है, वह है आदिवासी मतदाता। एक तरफ कांग्रेस प्रत्याशी इरफान अंसारी आदिवासी गांव में पिछले 10 वर्षों से अपनी पकड़ बनाए हुए हैं तो दूसरी तरफ भाजपा से सोरेन परिवार की ही बड़ी बहू सीता सोरेन को टिकट दिए जाने से इरफान अंसारी की मुश्किल काफी बढ़ी हुई दिखाई दे रही है। वैसे इरफान की मानें तो आदिवासी वोट पर उनका एकाधिकार है, इसे कोई भी डिस्टर्ब नहीं कर सकता, जबकि भाजपा प्रत्याशी की मानें तो इस बार भारी संख्या में आदिवासी मतदाताओं का रुझान सीता सोरेन की तरफ है। नाला विधानसभा में भी स्थिति कमोबेश कुछ इसी तरह का है। यहां भी रवींद्रनाथ महतो और माधव चंद्र महतो के बीच कांटे की टक्कर है। पूर्व में सत्यानंद झा बाटुल के खड़ा होने से महतो वोटर रविंद्र नाथ महतो के पक्ष में काफी सशक्त रूप से स्थापित थे, पर इस बार माधव चंद्र महतो के खड़ा होने से इस बड़े वोट बैंक में भी काफी बदलाव होने की संभावना है। चुकी माधव चंद्र महतो का राजनीतिक छवि अभी बिल्कुल स्वच्छ है, उनके शिक्षक होने के नाते लोगों के बीच एक अलग पहचान है, वहीं रवींद्रनाथ महतो ने क्षेत्र में जो विकास कार्य किए हैं और एक लंबे राजनीतिक अनुभव का जो दबदबा है उससे मुकाबला काफी रोचक होने जा रहा है। दूसरी तरफ आदिवासी मतदाताओं, खासकर पढ़े लिखे युवा वर्ग का सोच है कि यह आखरी मौका है जब किसी आदिवासी महिला को भाजपा ने जामताड़ा में मौका दिया है, इसलिए वह इस मौके को हाथ से नहीं जाने देना चाहते हैं। उनका मानना है कि अगर सीता सोरेन इस बार नहीं जीतती है तो फिर यह सीट आदिवासी के हाथ से हमेशा के लिए निकल जाएगा। इस तरह के सोच और चर्चा भी आदिवासी मताधिकार को बहुत ही प्रभावित करते दिखाई दे रहे हैं। मतदान शुरू होने में अब 24 घंटे से भी बहुत कम समय बाकी रह गया है। कल सभी प्रत्याशियों का भाग्य ईवीएम में कैद हो जाएगा। दिलचस्प होगा 23 नवंबर जब मत पेटियां खुलेंगी, ईवीएम मशीन से गिनतियां आरंभ होगी और धड़कने बढ़ती-घटती रहेगी।