नई दिल्ली। भारत में तंबाकू से हो रही मौतों को लेकर विशेषज्ञों ने चिन्ता जाहीर की हैं। विशेषज्ञों ने स्मोकिंग जोन पर तत्काल बैन लगाने और दुकानों में तंबाकू उत्पादों के विज्ञापन पर बैन लगाने की जरूरत बताई। देश में हर साल 20 लाख लोग तंबाकू उत्पादों के इस्तेमाल की वजह से मौत के शिकार होते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार अब समय आ गया है कि धूम्रपान की छूट देने वाले स्मोकिंग जोन और दुकानों पर तंबाकू उत्पादों के विज्ञापनों की छूट को खत्म कर तंबाकू के विज्ञापन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए।
विशेषज्ञों ने तंबाकू-नियंत्रण कानून को सख्त बनाने की मांग की। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा कि सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (कॉटपा) संशोधन विधेयक न सिर्फ लाखों लोगों की जान बचाने में मददगार होगा, बल्कि यह देश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर बोझ भी कम करेगा। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहना है कि तंबाकू उद्योग अब सिंथेटिक निकोटीन के माध्यम से युवाओं को जाल में फंसाने की कोशिश कर रहा है। यह निकोटीन की तरह ही हानिकारक और नशे की लत है, लेकिन यह मौजूदा कानूनों के दायरे में नहीं आता।
विशेषज्ञों की माने तो कई देश अब तंबाकू सेवन को खत्म करने की रणनीति की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। सड़कों, समुद्र तटों और खुले पार्कों में भी तंबाकू सेवन पर प्रतिबंध लगाना शुरू कर दिया है। जबकि हमारे देश में होटलों और रेस्तराओं जैसी बंद जगहों पर स्मोकिंग जोन की अनुमति है। यह धूम्रपान नहीं करने वाले लोगों के स्वास्थय के लिए बड़ा खतरा है। हमें इस पर तत्काल प्रतिबंध लगाना होगा। धूम्रपान और तंबाकू के सेवन से पुरुषों और महिलाओं दोनों की प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है। इसकी वजह से गर्भावस्था के दौरान गर्भ में पल रहे बच्चे के जीवन की गुणवत्ता खतरे में पड़ सकती है। वह अस्वस्थ हो सकता है, गर्भपात हो सकता है और गर्भ में बच्चे की मौत भी हो सकती है।