काजल राय चौधरी
मिहिजाम । मिहिजाम नगर परिषद क्षेत्र में जलनिकासी की व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है, जिससे शहर के अधिकांश वार्डों में गंदगी और बीमारियों का खतरा बढ़ता जा रहा है। कुल 20 वार्डों वाले इस शहरी क्षेत्र में नालियों की हालत बेहद खराब है। कई स्थानों पर नालियां अधूरी बनी हैं, तो कहीं पूरी तरह जाम हो चुकी हैं। बरसात के मौसम में यह समस्या और भी गंभीर हो जाती है, जब गंदा पानी सड़कों पर बहने लगता है। शहर के प्रमुख इलाके जैसे कुर्मी पाड़ा, हिल रोड, हटिया, पी. बनर्जी रोड, कृष्णा नगर, साल बागान, आम बागान, पाल बागान, मस्जिद रोड, अंबेडकर नगर, लीला नगर और अरविंद कॉलोनी समेत कई क्षेत्रों में नालियों से बहता गंदा पानी लोगों की दिनचर्या को प्रभावित कर रहा है। इन जगहों पर सालों भर नाले का पानी सड़कों पर बहता रहता है, जिससे डेंगू, मलेरिया और अन्य संक्रामक बीमारियों का खतरा बना रहता है। विशेष रूप से वार्ड संख्या 3 में बादोलीगढ़ से आमबागान कालीमंदिर तक जाने वाला मार्ग अत्यंत दयनीय स्थिति में है। यह मार्ग धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है और हजारों लोग प्रतिदिन इससे आवागमन करते हैं, मगर सड़कों पर बहता नाला इसे जानलेवा बना चुका है। कई बार राहगीर फिसलकर घायल भी हो चुके हैं। यहां से इंडियन ऑयल की पाइपलाइन भी गुजरती है, जिससे नगर परिषद पक्के निर्माण से बचती रही है। स्थानीय नागरिकों ने नगर परिषद पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा है कि कई बार शिकायतों के बावजूद कोई स्थायी समाधान नहीं निकला है।
नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी राजीव कुमार मिश्रा के अनुसार, शहर में सेप्टेज प्रबंधन को लेकर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की जा रही है जिसे राज्य सरकार को भेजा जाएगा। इसके लागू होने से मिहिजाम की लगभग 55,000 की आबादी को राहत मिलने की उम्मीद है।
विशेषज्ञों का कहना है कि जलनिकायों में मलजल का निपटान पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत निषिद्ध है, फिर भी शहर में खुलेआम इसका उल्लंघन हो रहा है। यह न केवल जल स्रोतों को प्रदूषित कर रहा है बल्कि लोगों के स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर डाल रहा है। ऐसे में नगर प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को इस गंभीर समस्या को प्राथमिकता देकर शीघ्र समाधान की दिशा में कार्य करना चाहिए।
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