कई स्टडी के आधार पर यह कहा जा रहा
नई दिल्ली (ईएमएस): भारत में डायबिटीज के मरीजों के लिए चावल का सेवन अक्सर चर्चा का विषय बनता है। विशेषज्ञों का कहना है कि सीमित मात्रा में चावल का सेवन डायबिटीज के मरीजों के लिए हानिकारक नहीं होगा, बशर्ते उसे सही तरीके से खाया जाए। चावल में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होती है और इसका जीआई स्कोर भी थोड़ा उच्च होता है, लेकिन सही खानपान की रणनीति अपनाकर इसे सुरक्षित रूप से खाया जा सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, डायबिटीज के मरीजों को दिन में एक बार चावल खाना चाहिए, लेकिन इसे किसी अन्य स्टार्चयुक्त खाद्य पदार्थ के साथ नहीं मिलाना चाहिए। उन्होंने यह भी सुझाव दिया है कि अगर चावल से स्टार्च निकाल दिया जाए, तो यह अधिक फायदेमंद हो सकता है। चावल में मौजूद पोषक तत्व शरीर के लिए लाभकारी होते हैं, लेकिन इसकी अधिकता से रक्त शर्करा में वृद्धि हो सकती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि चावल की जगह ब्राउन राइस को अधिक अच्छा माना जाता है, लेकिन यह कहना कि व्हाइट राइस डायबिटीज के मरीजों के लिए हानिकारक है, पूरी तरह से सही नहीं है। बासमती चावल, जो भारत में लोकप्रिय है, का ग्लिसेमिक इंडेक्स 50 से 58 के बीच होता है, जो इसे अपेक्षाकृत कम जीआई वाला बनाता है। यह चावल डायबिटीज के मरीजों के लिए उपयुक्त हो सकता है, बशर्ते इसका सेवन संतुलित मात्रा में किया जाए। रिसर्च के अनुसार, एक मुट्ठी चावल में 1 ग्राम डाइट्री फाइबर, 36 ग्राम कार्बोहाइड्रेट और 3 ग्राम प्रोटीन होता है। डाइट्री फाइबर टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है और पाचन तंत्र को मजबूत करता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनिया भर में 42.2 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं, और भारत में भी इसकी संख्या काफी बड़ी है।
डायबिटीज तब होती है जब रक्त में ग्लूकोज की मात्रा अत्यधिक बढ़ जाती है। चावल में कार्बोहाइड्रेट की अधिकता से शरीर में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है, जिसके लिए इंसुलिन की आवश्यकता होती है। यदि इंसुलिन की कमी हो जाए, तो रक्त में ग्लूकोज जमा हो सकता है, जिससे डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए, डायबिटीज के मरीजों को चीनी और स्टार्चयुक्त खाद्य पदार्थों का सेवन नियंत्रित मात्रा में करना चाहिए।