राज्य और राजनीति
चंदन मिश्र
झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर उम्मीदवारों के नाम घोषित हुए। टिकट बांटते ही, नेताओं के रुठने का सिलसिला शुरू हो गया। कई नेताओं ने पाला बदला। किसी को टिकट मिला, किसी को नहीं मिला। रूठे नेताओं को मनाने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। चुनाव प्रक्रिया शुरू होते होते दलों के नेता किसी को नाराज नहीं रखना चाहते हैं। झारखंड में सबसे बड़े विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता रविन्द्र कुमार राय को टिकट नहीं मिला तो नाराज हो गए। पहले हल्ला हुआ कि दल बदलेंगे और चुनाव लड़ेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। रविन्द्र राय भाजपा के समर्पित नेता हैं। उनके मनभाव को पार्टी के आलाकमान ने समझा और उन्हें मनाने समझाने केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और असम के मुख्यमंत्री हेमंता बिस्वा सरमा उनके घर गए। समझाया और उसका परिणाम हुआ कि रविन्द्र राय झारखंड भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष बना दिए गए।
भाजपा के कई वर्तमान और पूर्व विधायकों ने पाला बदलकर झामुमो का टिकट थाम लिया। दुमका की पूर्व विधायक लुईस मरांडी और वर्तमान विधायक केदार हाजरा झामुमो के टिकट से चुनाव लड़ेंगे। भाजपा ने शायद इन्हें पहले टिकट न देने का निर्णय ले लिया था, इसलिए उन्हें मनाने की जुर्रत नहीं की। कोल्हान में कई पूर्व विधायकों ने पाला बदला है। भाजपा के जिला स्तरीय कई नेताओं ने भी टिकट नहीं मिलने के कारण निर्दलीय चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। वैसे इन नेताओं के निर्दलीय चुनाव लड़ने से भाजपा के अधिकृत उम्मीदवारों को इनसे कोई नुकसान नहीं होगा। लेकिन इनमें भी जो प्रभावशाली नेता हैं, उन्हें पार्टी के नेता मनाने पहुंचे।
उधर सत्तारूढ़ झामुमो के कई पूर्व विधायक और वरिष्ठ नेता भी टिकट नहीं मिलने के कारण पार्टी नेतृत्व से नाराज हैं। इनमें से जो प्रभावशाली नेता हैं, उन्हें भी मनाने की कोशिश हुई है। संतालपरगना के निवर्तमान विधायक विलियम मरांडी का टिकट कट गया है। वे खासे नाराज हैं। उनकी जगह टिकट हेमलाल मुर्मू को दे दिया गया। झामुमो में नाराज पूर्व विधायकों की संख्या अपेक्षाकृत कम है, लेकिन कुछ नेताओं में नाराजगी जरूर है।
कांग्रेस में नाराज नेताओं की संख्या कुछ अधिक है। जिला से लेकर प्रदेश स्तर तक के नेता नाराज ही नहीं हैं, बल्कि रुष्ठ होकर अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ मैदान में उतर चुके हैं।
इंडिया गठबंधन में बागी भी मैदान में
इंडिया गठबंधन में कई अधिकृत उम्मीदवारों के खिलाफ साथी दलों के उम्मीदवार मैदान में उतर चुके हैं। कई नेता दल बदल कर चुनाव लड़ेंगे। बरही से उमाशंकर अकेला कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर समाजवादी पार्टी के टिकट से चुनाव लड़ेंगे। उसी तरह गढ़वा में गिरिनाथ सिंह राजद छोड़ समाजवादी पार्टी से लड़ेंगे। राजधनवार में झामुमो ने पहले ही निजामुद्दीन अंसारी को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया था। उसके बावजूद भाकपा माले ने भी राजकुमार यादव को भी यहां से उतार दिया। इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार आपस में लड़ेंगे। ऐसे कम से कम आधा दर्जन विधानसभा सीटों पर इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार आपस में भी भिड़ते दिखाई देंगे। अभी नाम वापसी की अंतिम तारीख के बाद ही सियासी जंग की असली तस्वीर सामने आएगी। तब तक हमें इंतजार करना पड़ेगा।
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