नई दिल्ली । ताजा अध्ययन में खुलासा हुआ है कि मिर्च या तीखेपन का मुख्य घटक कैप्साइसिन होता है, जो मानव जीभ पर दर्द रिसेप्टर्स को उत्तेजित कर सकता है। यह उत्तेजना दर्द का अनुभव कराती है, लेकिन इसका अनुभव व्यक्ति के मानसिक दृष्टिकोण पर निर्भर करता है।
अगर किसी को मसालेदार भोजन से सकारात्मक उम्मीदें होती हैं, तो वह इस तीव्रता को आनंद के रूप में अनुभव कर सकता है, जबकि नकारात्मक उम्मीदें इसे असुविधाजनक या दर्दनाक बना सकती हैं। यह अध्ययन पूर्वी चीन नॉर्मल यूनिवर्सिटी, वर्जीनिया टेक, और यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया, बर्कले के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया। उन्होंने इस बात की जांच की कि कैसे हमारे मस्तिष्क में दर्द के स्रोत और उम्मीदें एक साथ काम करते हैं। मसालेदार भोजन के प्रति लोगों की पसंद-नापसंद में इतना बड़ा अंतर क्यों होता है? इस सवाल का जवाब हाल ही में एक चीनी-अमेरिकी अध्ययन ने खोजा है, जिसमें यह जानने की कोशिश की गई कि कुछ लोग तीखा भोजन पसंद क्यों करते हैं, जबकि अन्य इसे दर्दनाक और असहनीय मानते हैं। अध्ययन में यह पाया गया कि जो लोग मसालेदार भोजन पसंद करते हैं, उनके मस्तिष्क के आनंद केंद्रों में अधिक सक्रियता देखी गई, जबकि जो लोग इसे नापसंद करते थे, उनमें दर्द से संबंधित हिस्सों में अधिक सक्रियता थी।
शोधकर्ताओं ने यह भी देखा कि जिन प्रतिभागियों को मसालेदार भोजन की तीव्रता के बारे में पहले से सकारात्मक संकेत मिले थे, उन्होंने कम तीव्रता का अनुभव किया, जबकि नकारात्मक संकेतों ने तीव्रता की धारणा को बढ़ा दिया। इसका मतलब यह है कि हमारी उम्मीदें हमारे स्वाद और दर्द के अनुभव को गहराई से प्रभावित कर सकती हैं। इस अध्ययन से पता चलता है कि मसालेदार भोजन के प्रति हमारी प्रतिक्रिया केवल शारीरिक उत्तेजना पर निर्भर नहीं होती, बल्कि मानसिक दृष्टिकोण और अपेक्षाओं पर भी निर्भर होती है।