मायावती के बदलते तेवरों से राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर जारी
लखनऊ । यूपी के विधानसभा चुनाव में अभी काफी समय है, लेकिन प्रदेश में सरकार बनाने को लेकर गुणा-भाग लगाना शुरू हो गया है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी से निकालने के बाद तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। मायावती ने अपने पिछले कुछ बयानों में बीजेपी को आड़े हाथों लिया है। मायावती के बदलते तेवरों से राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर जारी है। चर्चा है कि अखिलेश यादव और मायावती एक बार फिर साथ आ सकते हैं। अगर ये साथ आते हैं तो साल 1993 में मिली सपा-बसपा गठबंधन की करिश्माई जीत को दोहरा सकते हैं।
यूपी में जीत की हैट्रिक लगाने के लिए बीजेपी हिंदुत्व के एजेंडे पर काम कर रही है। सीएम योगी ने बजट सत्र में इसकी बानगी भी पेश की है। उधर समाजवादी पार्टी अपने पीडीए के सहारे यूपी की सत्ता में वापसी करना चाहती है, लेकिन इसी बीच केशव देव मौर्य ने बड़ा बयान दिया है। केशव देव मौर्य ने कहा कि बीजेपी से अकेले ना ही समाजवादी पार्टी और ना ही बसपा जीत पाएगी। उन्होंने कहा कि ऐसे में बेहतर यही होगा कि सपा और बसपा दोनों मिलकर बीजेपी को सत्ता से हटाकर 2027 में सरकार बना लें।
केशव देव मौर्य इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। एक-दूसरे के राजनीतिक धुरविरोधी माने जाने वाले मायावती और अखिलेश यादव मोदी को सत्ता से हटाने के लिए 2019 लोकसभा चुनाव में एक साथ आ चुके हैं। इस चुनाव में मायावती 0 से 10 सीट पर पहुंच गई थी, लेकिन अखिलेश यादव 2014 के आंकड़ों पर ही सीमित रह गए थे। हालांकि 10 सीटों का फायदा होने के बाद भी मायावती ने सपा का वोट बसपा में ट्रांसफर ना होने का आरोप लगाते हुए अपने रास्ते अलग कर लिए थे।
इसके बाद से पूर्व सीएम मायावती अक्सर बीजेपी की तुलना में सपा और कांग्रेस पर ज्यादा हमले करने लगी थी। इस पर अखिलेश यादव समय-समय पर अपनी प्रतिक्रिया भी देते रहे हैं। यही नहीं, सपा ने बसपा के टिकटों पर भी सवाल खड़े किए हैं। वहीं राजनीतिक जानकारों की माने तो राजनीति में कोई किसी का स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता है। इसलिए ये कहना कि यह दोनों दल एक साथ नहीं आ सकते हैं, ये कहना गलत होगा।
वहीं चर्चा है कि मायावती के साथ गठबंधन करके अखिलेश यादव 1993 वाले करिश्मा को दोहराना चाहते है। दिसंबर 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचा गिराया गया था, उसके ठीक बाद साल 1993 में हुए विधानसभा चुनाव में सपा और बसपा ने मिलकर सरकार बना ली थी। तब सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव और बसपा के संस्थापक कांशीराम एक साथ आ गए थे।