पटना । दिल्ली में जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपनी सेहत का हवाला देते हुए पद छोड़ने का निर्णय लिया है। दिल्ली की इस खबर ने बिहार में हंगामा खड़ा कर दिया। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर शुरू हुई चर्चाओं ने राजनीतिक तापमान को और बढ़ा दिया है। बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के नाम से सोशल मीडिया में वायरल हो रहे एक पोस्ट ने इस चर्चा को नया आयाम दे दिया जिसमें धनखड़ के इस्तीफे को बिहार की राजनीति और एनडीए की रणनीति से जोड़ा गया है।
तेजस्वी यादव के नाम से सोशल मीडिया में जो पोस्ट वायरल हो रहा है उसमें लिखा है कि, क्या उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा संसद में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और चुनाव आयोग द्वारा बिहार में चल रही एसआईआर प्रक्रिया से बहस को टालने का प्रयास है? क्या बीजेपी अगले उपराष्ट्रपति के रूप में नीतीश कुमार को आगे करने जा रही है? हालांकि, यह सोशल मीडिया में जो पोस्ट वायरल हो रहा है वह तेजस्वी यादव के ऑफिसियल अकाउंट नहीं है, लेकिन उन्हीं के नाम से एक पैरोडी अकाउंट है जो तेजस्वी यादव के नाम से शेयर हो रहा है। इसी पोस्ट ने न केवल नीतीश कुमार के उपराष्ट्रपति बनाए जाने की अटकलों को हवा दी, बल्कि बिहार की राजनीति में भी नई बहस छेड़ दी। सोशल मीडिया पर हैशटैक नीतीशकुमार ट्रेंड करने लगा। जहां कुछ लोग इसे बीजेपी की रणनीति का हिस्सा मान रहे हैं तो कुछ इसे महज सियासी शिगूफा बता रहे हैं। तेजस्वी यादव के नाम से एक पैरोडी अकाउंट पर किये गए पोस्ट ने नीतीश कुमार के नाम् की चर्चा सोशल मीडिया में शुरू कर दी है।
सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने नीतीश को उपराष्ट्रपति बनाने की अटकलों को खारिज करते हुए इसे आरजेडी की सियासी चाल बताया है। एक यूजर ने लिखा, नीतीश कहीं नहीं जा रहे, यह तेजस्वी का शोर है। दूसरी ओर कुछ का मानना है कि बीजेपी नीतीश को ‘सम्मानजनक विदाई’ देकर बिहार में नया समीकरण बना सकती है। बता दें कि संविधान के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव 60 दिनों में होना है। तब तक हरिवंश नारायण सिंह कार्यवाहक सभापति होंगे। लेकिन इस बीच में नीतीश कुमार को लेकर चर्चाएं सियासी गलियारों में गूंज रही हैं। बहरहाल, क्या यह बीजेपी की रणनीति है या तेजस्वी का दांव? इस सवाल का जवाब आने वाले समय में मिलेगा। सूत्रों के अनुसार, बीजेपी बिहार में नीतीश कुमार को ऊंचा पद देकर ओबीसी और ईबीसी वोट बैंक को साधने की कोशिश कर सकती है, ताकि आगामी विधानसभा चुनाव में नया नेतृत्व सामने लाया जा सके। हालांकि, राजनीति के कई जानकार इसे अव्यवहारिक मानते हैं। दरअसल, नीतीश कुमार बिहार में जेडीयू के सर्वेसर्वा तो हैं ही, साथ ही एनडीए का चेहरा भी हैं। अब जब चुनाव के महज तीन से चार महीने ही बचे हुए हैं ऐसे में उनका राष्ट्रीय स्तर पर जाना बिहार में एनडीए की राजनीतिक संभावनाओं को अनिश्चितताओं के दौर में ले जा सकता है।
बता दें कि जगदीप धनखड़ ने अपने पत्र में लिखा, स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने और चिकित्सीय सलाह का पालन करने के लिए, मैं संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के तहत तत्काल प्रभाव से उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देता हूं। हालांकि, उनके इस्तीफे ने कई सवाल खड़े किए हैं। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम स्वास्थ्य कारणों से परे सियासी गणित का हिस्सा हो सकता है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने पीएम नरेंद्र मोदी से धनखड़ को मनाने की अपील की है, जबकि राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा है कि यह अप्रत्याशित है, लेकिन इसका कारण सिर्फ स्वास्थ्य नहीं लगता। इस बीच नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति बनाने की चर्चा को बीजेपी के ‘ऑपरेशन बिहार’ से जोड़ा जा रहा है।
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