अहमदनगर । बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने अपने फैसले में कहा कि पुलिस स्टेशन के अंदर वीडियो रिकॉर्ड करना आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम की धारा 3 के तहत नहीं आता है। यह फैसला तब आया जब जस्टिस विभा कंकनवाड़ी और एसजी चपलगांवकर की पीठ ने मुंबई पुलिस कांस्टेबल संतोष अथारे के खिलाफ दायर अधिनियम के तहत आरोपों को खारिज कर दिया।
बता दें अहमदनगर जिले के पाथर्डी पुलिस स्टेशन में दर्ज मामले में अथारे और उनके भाई सुभाष शामिल थे। पुलिस ने आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम लागू किया था, लेकिन कोर्ट ने कहा कि अधिनियम की धारा 2(8) निषिद्ध स्थानों को परिभाषित करती है और पुलिस स्टेशन उस परिभाषा में नहीं आता है। कोर्ट ने यह कहा कि जासूसी के लिए दंड से संबंधित धारा 3 पुलिस स्टेशन के अंदर की गई कार्रवाइयों पर लागू नहीं होती है।
हाईकोर्ट ने एफआईआर में भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी और 506 सहित अन्य आरोपों को रद्द करने से इनकार कर दिया। यह मामला तब उठा जब सुभाष अथारे ने शिकायत में कहा कि 21 अप्रैल, 2022 को तीन लोगों ने उनके घर में अवैध रूप से अतिक्रमण कर लिया था, जब उनकी मां के अलावा कोई भी मौजूद नहीं था। सुभाष ने सवाल किया था कि जब अतिक्रमणकारियों ने कथित तौर पर उनकी मां पर हमला किया था तो केवल गैर-संज्ञेय मामला क्यों दर्ज किया गया। अथारे बंधुओं ने दावा किया कि उच्च अधिकारियों से उनकी शिकायत के बाद स्थानीय पुलिस ने जवाबी कार्रवाई में उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की।