हमारे बैंक खाते बंद कर दिए, उनके पास था बहुत बड़ा आर्थिक तंत्र
नई दिल्ली । लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी इन दिनों अमेरिका दौरे पर हैं। अपनी यात्रा के दौरान राहुल गांधी मंगलवार को जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी पहुंचे। यहां राहुल गांधी ने छात्रों के साथ संवाद किया। राहुल ने बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर निशाना भी साधा। राहुल ने कहा कि चुनावों से पहले हम इस विचार पर जोर देते रहे कि संस्थाओं पर कब्जा कर लिया गया है। आरएसएस ने शिक्षा प्रणाली कब्जा ली है। मीडिया और जांच एजेंसियों पर कब्जा है। हम यह कहते रहे, लेकिन लोगों को समझ में नहीं आ रहा था। फिर संविधान को आगे रखना शुरू किया और जो कुछ भी कहा था, वह अचानक से फूट पड़ा।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि गरीब भारत, उत्पीड़ित भारत ने यह समझ लिया कि अगर संविधान खत्म हो गया तो पूरा खेल खत्म हो जाएगा। गरीबों ने गहराई से समझा कि यह संविधान की रक्षा करने वालों और इसे नष्ट करने वालों के बीच की लड़ाई है। जाति जनगणना का मुद्दा भी बड़ा हो गया। ये चीजें अचानक एक साथ आने लगीं। मुझे नहीं लगता कि निष्पक्ष चुनाव में बीजेपी 246 के करीब थी। उनके पास बहुत बड़ा आर्थिक लाभ था। उन्होंने हमारे बैंक खाते बंद कर दिए थे।
निर्वाचन आयोग पर निशाना साधते हुए राहुल गांधी ने कहा कि चुनाव आयोग वही कर रहा था, जो बीजेपी चाहती थी। पूरा अभियान इस तरह बनाया था कि नरेंद्र मोदी देश भर में अपना काम करें। जिन राज्यों में बीजेपी कमजोर थी, उन्हें उन राज्यों से अलग डिजाइन किया गया। जहां वे मजबूत थे मैं इसे स्वतंत्र चुनाव के रूप में नहीं देखता हूं मैं इसे नियंत्रित चुनाव के रूप में देखता हूं।
राहुल गांधी ने कहा कि प्रचार अभियान के आधे समय में नरेंद्र मोदी को नहीं लगा कि वे 300-400 सीटों के करीब हैं। जब उन्होंने कहा कि मैं सीधे भगवान से बात करता हूं तो हमें पता चल गया था कि हमने उन्हें पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया है। हमने इसे मनोवैज्ञानिक पतन के तौर पर देखा। नरेंद्र मोदी को सत्ता में लाने वाला गठबंधन टूट गया है। सरकार और दो या तीन बड़े व्यवसायों के बीच बड़ी सांठगांठ है। ओबीसी और दलितों को धोखा दिया जा रहा है।
राहुल गांधी ने कहा कि मुद्दा यह है कि भारत के 90 फीसदी ओबीसी, दलित और आदिवासी इस खेल में शामिल नहीं हैं। जाति जनगणना यह जानने का एक सरल तरीका है कि निचली जातियां, पिछड़ी जातियां और दलित किस तरह से व्यवस्था में एकीकृत हैं। भारत के शीर्ष 200 व्यवसायों में से भारत की 90 फीसदी आबादी के पास करीब कोई स्वामित्व नहीं है। देश के सर्वोच्च न्यायालयों में भारत के 90 फीसदी लोगों की कोई भागीदारी नहीं है। हम समझना चाहते हैं कि उनकी सामाजिक और वित्तीय स्थिति कैसी है। हम इन संस्थानों में भारत की भागीदारी की भावना जानने के लिए भारतीय संस्थानों को भी देखना चाहते हैं।