त्वरित टिप्पणी
चंदन मिश्र
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ओड़िशा सहित पांच राज्यों के राज्यपाल बदल दिए। ओड़िशा के राज्यपाल के पद से रघुवर दास ने इस्तीफा दे दिया है। उनका इस्तीफा स्वीकार भी कर लिया गया है उन्हें किसी दूसरे राज्य का राज्यपाल नहीं बनाने के पीछे सक्रिय राजनीति में उनकी पुनर्वापसी की तैयारी है। झारखंड की राजनीति या केंद्र की राजनीति में रघुवर दास की वापसी के कयास लगाए जा रहे हैं। झारखंड में अगले महीने नए प्रदेश अध्यक्ष बदलने की तैयारी है। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व राज्य में संगठन को चुस्त और दुरुस्त बनाना चाहता है। रघुवर दास पिछड़े वर्ग के एक दमदार नेता और चेहरा रहे हैं। क्या भाजपा उन्हें एक बार फिर संगठन की बागडोर सौंपने की योजना तो बना रही है ? यह सवाल बहुत तेजी से राजनीतिक महकमे में तैरने लगा है। भाजपा आदिवासी चेहरा के रूप में बाबूलाल मरांडी को विधायक दल का नेता और रघुवर दास को पिछड़े वर्ग के नेता के रूप में संगठन का चेहरा बना सकती है। रघुवर दास ने भाजपा नेतृत्व के सामने विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा व्यक्त कर चुके थे, लेकिन उन्हें मना कर दिया गया था। उनकी जगह उनकी पुत्रवधू को टिकट दे दिया गया। आज वह पूर्वी जमशेदपुर की भाजपा विधायक बन चुकी हैं। भाजपा नेतृत्व की उन्हें इस्तीफा दिलाने के पीछे क्या उद्देश्य है, यह अगले एक दो दिनों में साफ हो जाएगा। भाजपा नेतृत्व उन्हें सक्रिय राजनीति में लाना चाहता है या उन्हें कोई और बड़ी जिम्मेवारी दी जाएगी, यह भी स्पष्ट हो जाएगा। लेकिन यह बात भी बिल्कुल साफ है कि रघुवर दास को शुरू से ही राजभवन रास नहीं आ रहा था। वह सक्रिय राजनीति में आने के लिए बहुत दिनों से उत्सुक थे। केंद्रीय नेतृत्व ने उनकी मन की इच्छा सुन ली और उनसे इस्तीफा लेकर उन्हें सक्रिय राजनीति में आने का रास्ता साफ कर दिया। झारखंड में चुनाव हारने के बाद भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व अभी सन्निपात की स्थिति में है। इससे उबरने के लिए भाजपा कुछ नया और बड़ा करने की सोच रही है, उसी सोच का यह परिणाम है कि राज्यपाल रघुवर दास अब पूर्व राज्यपाल बना दिए गए हैं।