नई दिल्ली। क्या आपने कभी सोचा है कि इफ्तार में सबसे पहले खजूर खाने की परंपरा क्यों है? खजूर से रोजा खोलने की यह परंपरा पैगंबर मुहम्मद के समय से चली आ रही है। कहा जाता है कि पैगंबर ने इब्राहीम परंपरा का अनुसरण करते हुए खुद खजूर और पानी से अपना रोजा तोड़ते थे। बाद में यह परंपरा बन गई और आज तक कायम है। इस्लाम में इसे सुन्नत माना गया है, यानी इसका पालन करने से धार्मिक पुण्य मिलता है। खजूर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी बेहद लाभकारी है। लंबे समय तक उपवास रखने के बाद शरीर को तुरंत ऊर्जा की आवश्यकता होती है, और खजूर इस काम के लिए एक आदर्श खाद्य पदार्थ है।
खजूर नैचुरली मीठे होते हैं और इनमें ग्लूकोज, फ्रुक्टोज और सुक्रोज जैसे प्राकृतिक शुगर पाए जाते हैं, जो ब्लड शुगर के स्तर को तेजी से बढ़ाते हैं और तुरंत एनर्जी प्रदान करते हैं। इसके अलावा, खजूर में फाइबर, पोटेशियम, मैग्नीशियम, विटामिन बी6 और आयरन जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं, जो शरीर को पोषण देने में मदद करते हैं। फाइबर पाचन को बेहतर बनाता है और कब्ज जैसी समस्याओं से बचाता है, जो अक्सर उपवास के दौरान देखी जाती हैं। रोजे के दौरान डिहाइड्रेशन एक आम समस्या होती है, लेकिन खजूर में पानी की मात्रा अधिक होती है, जिससे शरीर को हाइड्रेटेड रखने में मदद मिलती है। यह शरीर में इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बनाए रखने में भी सहायता करता है, जिससे रोजेदारों को कमजोरी महसूस नहीं होती। इस तरह, इफ्तार में सबसे पहले खजूर खाने का न केवल धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक आधार भी है।
यह तुरंत ऊर्जा प्रदान करने, पाचन सुधारने और शरीर को हाइड्रेट रखने में मदद करता है, जिससे रोजेदार पूरे रमजान में स्वस्थ और ऊर्जावान बने रहते हैं। मालूम हो कि इस्लाम धर्म का सबसे पाक महीना रमजान शुरू होने वाला है। 30 दिन तक चलने वाले इस पवित्र महीने को खुदा की इबादत का महीना कहा जाता है। इस दौरान मुसलमान सूर्योदय से सूर्यास्त तक उपवास रखते हैं, जिसे रोजा कहते हैं। रमजान की शुरुआत चांद के दीदार के बाद होती है, और इसके साथ ही पहला रोजा रखा जाता है। रोजे के दौरान सूर्योदय से पहले सहरी की जाती है और सूर्यास्त के समय इफ्तार किया जाता है। इफ्तार के समय रोजेदार सबसे पहले खजूर खाते हैं।
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