पटना हाईकोर्ट ने की टिप्प्णी, पुलिस इंस्पेक्टर का डिमोशन आदेश को किया रद्द
पटना । पटना हाईकोर्ट ने एक पुलिस इंस्पेक्टर के खिलाफ जारी डिमोशन आदेश को रद्द करते हुए बिहार के शराबबंदी कानून पर गंभीर टिप्पणियां की हैं। कोर्ट ने कहा कि शराबबंदी कानून राज्य में शराब और अन्य अवैध सामानों की तस्करी को बढ़ावा दे रहा है। कोर्ट ने साफ कहा कि बिहार प्रोहिबिशन एंड एक्साइज एक्ट, 2016 को राज्य सरकार ने नागरिकों के जीवन स्तर और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए लागू किया था, लेकिन यह कानून गलत दिशा में चला गया है।
न्यायमूर्ति पूर्णेंदु सिंह द्वारा 29 अक्टूबर को सुनाया गया यह फैसला 13 नवंबर को हाईकोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किया है। यह फैसला मुकेश कुमार पासवान द्वारा दायर याचिका के जवाब में आया, जिन्होंने अपनी निलंबन और डिमोशन की सजा को चुनौती दी थी। मुकेश पासवान जो पटना बाईपास पुलिस स्टेशन में स्टेशन हाउस ऑफिसर के रूप में कार्यरत थे, उन पर आरोप था कि उनके क्षेत्राधिकार में विदेशी शराब की तस्करी हुई, जिसके कारण उन्हें सजा दी गई थी।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पुलिस, एक्साइज, राज्य वाणिज्यिक कर और परिवहन विभागों के अधिकारी इस शराबबंदी को अपनी कमाई का जरिया मानते हैं। शराब तस्करी में शामिल बड़े अपराधियों के खिलाफ बहुत कम कार्रवाई की जाती है, जबकि शराब पीने वालों और नकली शराब के शिकार गरीबों के खिलाफ ज्यादा मामले दर्ज होते हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि शराबबंदी कानून की कड़ी शर्तें पुलिस के लिए एक सुविधाजनक उपकरण बन गई हैं और पुलिस अक्सर तस्करों के साथ मिलीभगत करती है।
हाईकोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ विभागीय कार्रवाई पहले से तय थी और इसमें कोई निष्पक्षता नहीं बरती गई। कोर्ट ने विभागीय प्रक्रिया को औपचारिकता मानते हुए डिमोशन का आदेश रद्द कर दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने मामले में उठाए गए सवालों पर गहरी चिंता व्यक्त की और शराबबंदी कानून की वर्तमान स्थिति पर पुनर्विचार की जरुरत बताई।