श्रीनारायण गुरु-महात्मा गांधी संवाद शताब्दी समारोह में बोले प्रधानमंत्री
नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को विज्ञान भवन में आयोजित श्रीनारायण गुरु और महात्मा गांधी के ऐतिहासिक संवाद की शताब्दी समारोह का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने हाल ही में सफलतापूर्वक संपन्न ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का उल्लेख कर कहा कि इसने आतंकवाद के खिलाफ भारत की स्पष्ट और कठोर नीति को दुनिया के सामने रख दिया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने दिखा दिया है कि भारतीयों का खून बहाने वालों के लिए अब दुनिया में कोई भी जगह सुरक्षित नहीं है। आज का भारत अपने हितों के अनुसार हर जरूरी कदम उठाने में पीछे नहीं रहता। उन्होंने श्रीनारायण गुरु और महात्मा गांधी की 1925 में हुई ऐतिहासिक मुलाकात को याद करते हुए कहा कि यह संवाद केवल इतिहास की घटना नहीं, बल्कि आज भी सामाजिक समरसता और राष्ट्रीय एकता के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने कहा कि श्रीनारायण गुरु का जीवन समता, एकता और आध्यात्मिक उत्थान का प्रतीक रहा है। भारत की विशेषता यही है कि जब भी देश किसी संकट में होता है, कोई न कोई महान विभूति मार्गदर्शन के लिए सामने आती है। श्रीनारायण गुरु ऐसे ही संत थे, जिन्होंने समाज को नई दिशा दी।
प्रधानमंत्री मोदी ने शिवगिरी मठ के साथ अपने पुराने संबंधों को याद करते हुए कहा कि वह स्वयं को सौभाग्यशाली मानते हैं कि यह मठ हमेशा उनके साथ खड़ा रहा है। उन्होंने 2013 की केदारनाथ आपदा का ज़िक्र कर कहा कि उस कठिन समय में शिवगिरी मठ ने भारत सरकार के बजाय उन्हें संपर्क किया, जब वे केवल एक मुख्यमंत्री थे। उन्होंने ‘वन अर्थ, वन हेल्थ’, ‘वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड’ और ‘वन फैमिली, वन फ्यूचर’ जैसे वैश्विक दृष्टिकोणों का उल्लेख करते हुए भारत के नेतृत्व की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत सतत विकास के लक्ष्य में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
महिला सशक्तीकरण की दिशा में किए गए प्रयासों का उल्लेख कर प्रधानमंत्री ने कहा कि आज बेटियां कोर्ट से लेकर स्पेस तक भारत का नाम रोशन कर रही हैं। हमने उन क्षेत्रों में भी महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की है, जहां पहले उनकी एंट्री तक वर्जित थी।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति न केवल शिक्षा को समावेशी और आधुनिक बना रही है, बल्कि मातृभाषा में पढ़ाई को बढ़ावा देकर पिछड़े वर्गों को आगे ला रही है। शताब्दी समारोह के अवसर पर मोदी ने कहा कि यह कार्यक्रम एक वैचारिक महाकुंभ है, जो सामाजिक न्याय, एकता और आध्यात्मिक सद्भाव के मूल्यों को सुदृढ़ करने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
यह ऐतिहासिक संवाद 12 मार्च 1925 को शिवगिरी मठ में महात्मा गांधी और श्रीनारायण गुरु के बीच हुआ था, जिसमें वैकोम सत्याग्रह, धर्मांतरण, अस्पृश्यता उन्मूलन, दलित उत्थान और मोक्ष जैसे विषयों पर विचार हुआ था। श्री नारायण धर्म संघम ट्रस्ट द्वारा आयोजित इस आयोजन में देशभर के आध्यात्मिक और सामाजिक नेता हिस्सा ले रहे हैं।