यह एक कानूनी दस्तावेज, जो व्यक्ति को सिर्फ कुछ काम करने अधिकार देता है
नई दिल्ली । क्या पावर ऑफ अटॉर्नी से किसी प्रॉपर्टी का मालिकाना हक मिल जाता है? ये सवाल अक्सर लोगों के मन में आता है, खासकर तब जब किसी रिश्तेदार या दोस्त के नाम पर पावर ऑफ अटॉर्नी दी जाती है, लेकिन सच्चाई इससे अलग है। असल में पावर ऑफ अटॉर्नी एक ऐसा कानूनी दस्तावेज है, जिसके जरिए किसी व्यक्ति को यह अधिकार दिया जाता है कि वह आपकी तरफ से कुछ काम कर सके जैसे कि प्रॉपर्टी बेचना, रजिस्ट्री करवाना, किराया लेना या बैंक से जुड़ा कोई काम निपटाना, लेकिन इससे उस व्यक्ति का उस प्रापर्टी पर मालिकाना हक नहीं हो जाता।
अगर किसी को पावर ऑफ अटॉर्नी दी गई है, तो इसका मतलब है कि वह सिर्फ मालिक की तरफ से कानूनी काम कर सकता है। वह खुद उस संपत्ति का मालिक नहीं बन सकता। मालिकाना हक तभी ट्रांसफर होता है जब रजिस्टर्ड सेल डीड या गिफ्ट डीड के ज़रिए संपत्ति ट्रांसफर की जाए।
बता दें सुप्रीम कोर्ट ने भी 2011 में कहा था कि पावर ऑफ अटॉर्नी से कोई भी व्यक्ति संपत्ति का मालिक नहीं बन सकता। कोर्ट ने कहा कि यह सिर्फ एक ‘अथॉरिटी डॉक्युमेंट’ है, जिससे किसी को सीमित अधिकार दिए जाते हैं, लेकिन यह मालिकाना हक नहीं देता। यह दस्तावेज तब काम आता है जब आप किसी और शहर में रहते हैं और अपनी संपत्ति से जुड़े काम खुद नहीं कर सकते। उदाहरण के तौर पर अगर आप दिल्ली में रहते हैं और आपकी प्रॉपर्टी मुंबई में है, तो आप वहां अपने किसी भरोसेमंद व्यक्ति को पावर ऑफ अटॉर्नी देकर काम करने का अधिकार दे सकते हैं। अगर आप पावर ऑफ अटॉर्नी दे रहे हैं, तो उसे रजिस्टर्ड करवाना जरूरी है। साथ ही, शर्तें साफ लिखी होनी चाहिए कि सामने वाला व्यक्ति कौन-कौन से काम कर सकता है। नहीं तो बाद में कानूनी विवाद में फंस सकते हैं।