आखिर कन्फर्म टिकट कैसे देते हैं एजेंट ?
मुंबई । हर साल रेलवे द्वारा ग्रीष्मकालीन अवकाश के तहत दर्जनों विशेष ट्रेनें चलाई जाती है फिर भी लोगों को ट्रेन का टिकट नहीं मिल पाता है। वहीं एजेंटों द्वारा कन्फर्म टिकट के लिए मुंहमांगा पैसा माँगा जाता है। यही हाल इस साल भी है। परीक्षाएं समाप्त होने के साथ ही स्कूल-कॉलेज में गर्मी की छुट्टियां शुरू हो गई हैं। कई लोगों ने अपने घर जाने की योजना बनाई है। लेकिन 8 जून तक रेलवे आरक्षण फुल हो चुके हैं और सड़क तथा हवाई यात्रा की कीमतें भी दोगुनी से तीन गुनी हो गई हैं, जिससे लोगों को परेशानी हो रही है। ज्ञात हो कि गर्मियों की छुट्टियों में कुछ लोग धार्मिक गतिविधियों के लिए, कुछ शादी-ब्याह के लिए, तो कुछ पर्यटन के लिए जाना चाहते हैं। जिसके चलते पिछले पंद्रह दिनों में ट्रेनों में भीड़ बढ़ गई है। फिलहाल किसी भी ट्रेन में आरक्षित टिकट उपलब्ध नहीं होने से यात्रियों को जाने का अपना प्रोग्राम कैंसिल करना पड़ रहा है।
मुंबई और ठाणे जिले से उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश जाने वाले यात्रियों की संख्या काफी ज्यादा है। पर्यटक हिमाचल प्रदेश, गोवा, बैंगलोर और दिल्ली की यात्रा करना भी पसंद करते हैं। मगर 8 जून तक कई रेलगाड़ियों में आरक्षित टिकटें बिक चुकी हैं। इसलिए, कई यात्री तत्काल विकल्प चुनने के लिए मजबूर हो जाते हैं। हालांकि, वहां भी, चूंकि आरक्षण पांच मिनट में ही समाप्त हो जाता है, इसलिए नागरिकों को टिकट नहीं मिल पा रहा है, जिससे लोग परेशान हैं। वहीं एजेंटों द्वारा कन्फर्म टिकट के लिए मुंहमांगा पैसा माँगा जाता है। अब यहां सवाल ये उठता है कि आखिर एजेंटों द्वारा मुंहमांगा पैसा लेने पर कैसे कन्फर्म टिकट उपलब्ध करवाया जाता है ? यानि ये साफ़ प्रतीत हो रहा है कि कहीं ना कहीं टिकटों में भी खेला हो रहा है और इसमें रेलवे के संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत रहती है।