लगभग 44.7 फीसदी पाकिस्तानी आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन बिता रही है
नई दिल्ली । पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति और भी बिगड़ गई है, जैसा कि वर्ल्ड बैंक की हाली हालिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ है। इस रिपोर्ट के अनुसार लगभग 44.7 फीसदी पाकिस्तानी आबादी अब गरीबी रेखा के नीचे जीवन बिता रही है, जो कि चिंताजनक है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थिति सिर्फ शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख आमिस मुनीर की असफलता का ही परिणाम नहीं है, बल्कि पाकिस्तान की स्वाभाविकता को भी दर्शाता है। पाकिस्तान ने आतंकी साजिशों की बढ़ती चपेट में आर्थिक सहायता और अन्य आंकड़ों पर निर्भर होने की स्थिति में विकास के मामले में पीछे हो जाना है। अंतरराष्ट्रीय कर्ज और राहत पैकेजों पर निर्भर रहने वाले पाकिस्तान की आज भी प्राथमिकता देश का विकास नहीं बल्कि आतंकवाद को पालने-पोसने की है। चाहे आईएमएफ हो या फिर चीन जैसे मित्र देश, हर जगह से पाकिस्तान को भर-भरकर अरबों डॉलर का कर्ज़ मिल रहा है। इसके बावजूद वहां आवाम के जीवन स्तर में कोई ठोस सुधार नहीं आ पाया है। पाकिस्तान की आधी से ज्यादा आबादी अब रोजाना 1200 रुपये से भी कम पर गुजारा कर रही है, जो इस बात को साफ करता है कि सत्ताधारी वर्ग की योजनाएं जमीनी सच्चाई से कोसों दूर हैं। विकास के बजाय पाकिस्तान की सबसे बड़ी चिंता आज भी उसकी सेना और आतंकवाद को समर्थन देना है। हालिया वर्षों में पाकिस्तान ने सेना के बजट में लगातार इजाफा किया है। इतना ही नहीं वहां शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों को नजरअंदाज कर दिया गया है। इस वर्ष भी पाकिस्तान की सेना को बजट में भर-भरकर पैसा दिया गया है, जबकि देश में 39.8 मिलियन लोग चरम गरीबी की मार झेल रहे हैं।