नई दिल्ली । सरकारी आवासों पर कब्जा जमाए बैठे नेताओं के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक सख्त संदेश दिया है। अदालत ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि कोई भी व्यक्ति जीवनभर सरकारी बंगले पर कब्जा नहीं कर सकता। कोर्ट ने बिहार के पूर्व विधायक अविनाश कुमार सिंह की याचिका खारिज करते हुए उन्हें 21 लाख रुपये जुर्माना किराया भरने का आदेश दिया है।
पूर्व विधायक अविनाश कुमार सिंह ने मई 2016 तक पटना के टेलर रोड स्थित सरकारी बंगले को खाली नहीं किया, जबकि उन्होंने मार्च 2014 में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था। चुनाव हारने के बावजूद वह दो साल तक बंगले पर काबिज रहे। सरकार ने जब उनसे अतिरिक्त किराया मांगा, तो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई, न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और एन वी अंजरिया की पीठ ने इस पर कड़ा रुख अपनाया। कोर्ट ने कहा, कोई भी व्यक्ति अनिश्चितकाल तक सरकारी बंगले पर कब्जा नहीं कर सकता। पद छोड़ने के बाद आवास खाली करना कानूनी जिम्मेदारी है। अविनाश सिंह की यह दलील कि वह राज्य विधानमंडल अनुसंधान और प्रशिक्षण ब्यूरो के सदस्य थे, कोर्ट ने सिरे से खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि यह सदस्यता केवल सामान्य सुविधाएं देती है, न कि सरकारी आवास रखने का विशेषाधिकार।
यह फैसला ऐसे समय में आया है जब हाल ही में सेवानिवृत्त हुए मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के आधिकारिक आवास को सरकार ने नियम के अनुसार वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की है। इससे साफ संकेत मिलता है कि सरकारी सुविधाएं स्थायी नहीं होतीं।
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