अगड़ी जाति को नहीं मिली कोई तवज्जो
चंदन मिश्र
झारखंड में इंडिया गठबंधन की हेमंत सोरेन सरकार की कैबिनेट का आज विस्तार हो गया। झारखंड में मइयां सम्मान योजना की लहर में गठबंधन की सरकार तो बनी, लेकिन 12 सदस्यीय कैबिनेट में उस अनुपात में मईयाँ लोगों को जगह नहीं मिली। 30 फीसदी जगह भी उन्हें नहीं मिली। 12 में से सिर्फ दो मईयां को ही जगह मिल पाई। उसमें भी कांग्रेस पार्टी की दोनों विधायक मईयां इसमें शामिल हैं। झामुमो से किसी मइयां को कैबिनेट में जगह नहीं मिली, जबकि झामुमो के पास कैबिनेट के सबसे अधिक सात बर्थ हैं। झामुमो चाहता तो कम से कम एक मईयां को जरूर जगह मिल सकती थी। लेकिन झामुमो ने इस दिशा में कोई पहल नहीं की। भाजपा छोड़कर झामुमो में शामिल होनेवाली लुईस मरांडी के नाम की चर्चा मंत्रिपरिषद के सदस्य के रूप में चल रही थी, लेकिन यह सिर्फ चर्चा ही बनकर रह गई। गठबंधन सरकार की नई मंत्रिपरिषद में आज 11 नए मंत्रियों ने शपथ ली है, इनमें अनुसूचित जनजाति के चार, ओबीसी के दो, अल्पसंख्यक समुदाय से दो, अनुसूचित जाति से दो तथा सवर्ण जाति से एक मंत्री शामिल हैं। सवर्ण जाति से दीपिका पाण्डेय सिंह आती हैं, हालांकि उनकी शादी ओबीसी परिवार में हुई है। लिहाजा उन्हें किस वर्ग में रखना चाहिए, यह एक चर्चा का विषय हो सकता है। कैबिनेट में इस बार किसी राजपूत, भूमिहार या कायस्थ को जगह नहीं दी गई। दीपिका पाण्डेय को छोड़ दें तो किसी सवर्ण को तवज्जो नहीं मिली है।
पुराने कम, नए चेहरे ज्यादा
मंत्रिपरिषद में नए और पुराने चेहरों का मिश्रण बताया गया है। लेकिन पुराने और अनुभवी चेहरों में एकमात्र नाम कांग्रेस के राधाकृष्ण किशोर हैं। जबकि चमरा लिंडा, योगेंद्र प्रसाद, शिल्पी नेहा तिर्की, सुदिव्य कुमार सोनू और संजय प्रसाद यादव पहली बार सरकार में मंत्री बनाये गए हैं। रामदास सोरेन, दीपिका पाण्डेय सिंह, इरफान अंसारी तथा दीपक बिरुआ को पिछली सरकार में मंत्री के रूप में बहुत कम दिनों का अनुभव रहा। इस बार कैबिनेट में उन्हें द्वारा शामिल किया गया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के बाद हफ़ीजुल हसन को सरकार में पांच साल काम करने का अनुभव है।
अनुभवी चेहरों को किया किनारा
झामुमो, कांग्रेस और राजद में अनुभवी चेहरों को उनके दलों ने दरकिनार कर दिया। झामुमो में स्टीफन मरांडी, मथुरा महतो, लुईस मरांडी, जैसे नेताओं को कैबिनेट में जगह नहीं मिली। स्टीफन मरांडी और मथुरा महतो को लगातार दूसरी बार हेमंत सरकार की कैबिनेट में जगह नहीं मिली। वहीं कांग्रेस में छह बार के विधायक प्रदीप यादव, पूर्व मंत्री रामेश्वर उरांव जैसे अनुभवी नेताओं को कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया है। राजद में भी पूर्व मंत्री रहे देवघर के विधायक सुरेश पासवान और हुसैनाबाद के विधायक संजय कुमार सिंह यादव को तवज्जो देने की बजाय कम अनुभवी संजय प्रसाद यादव को कैबिनेट में शामिल किया गया है।
क्षेत्रीय संतुलन बनाने की कोशिश
हेमंत सोरेन सरकार की कैबिनेट में शामिल मंत्रियों को क्षेत्रीय संतुलन बनाने के लिहाज से हर प्रमंडल से शामिल किया गया है। संताल परगना से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अलावा इरफान अंसारी, हफ़ीजुल हसन, संजय प्रसाद यादव और दीपिका पाण्डेय सिंह, उत्तरी छोटानागपुर से योगेंद्र प्रसाद और सुदिव्य कुमार सोनू, दक्षिणी छोटानागपुर से शिल्पी नेहा तिर्की, पलामू प्रमंडल से राधाकृष्ण किशोर तथा कोल्हान से रामदास सोरेन और दीपक बिरुआ को शामिल किया गया है। हेमंत सरकार की नई कैबिनेट के सामने अगला पांच साल चुनौती भरा होगा। झामुमो और कांग्रेस ने जनता के सामने जितनी लोक लुभावन घोषणाएं की हैं, उन्हें जनता तक पहुंचाना आसान नहीं होगा।