●माइंस प्रबंधन और विस्थापितों के बीच हुए लिखित समझौते का पालन नहीं होने का विरोध कर रहे रैयत
●पचुवाड़ा कोयला खान परिवहन प्रभावित संघ के आह्वान पर लोगों ने जगह-जगह प्रदर्शन कर कोयला लदे वाहनों को रोक
सुमन सिंह
दुमका।रविवार को पचुवाड़ा सेंट्रल कॉल ब्लॉक और नॉर्थ पचुवाड़ा कोल ब्लॉक से विस्थापित गांवों के रैयतों ने कोल माइंस में खनन कार्य को ठप करा दिया।विस्थापितों का कहना है कि दोनों माइंस स्वीकृति के समय प्रबंधन और विस्थापितों के बीच हुए लिखित समझौता का प्रबंधन पालन नहीं कर रहा है।
इससे रैयतों में भारी आक्रोश है।इधर दुमका जिले के गोपीकांदर- काठीकुंड दुमका मार्ग पर लोगों ने कोयला लदे हाइवा के परिचालन को अनिश्चित काल के लिए ठप करा दिया है।पचुवाड़ा कोयला खान परिवहन प्रभावित संघ के आह्वान पर लोगों ने जगह-जगह प्रदर्शन कर कोयला लदे सैकड़ो वाहनों का चक्का जाम कर दिया।कोयला ट्रांसपोटेशन के विरोध में मुख्य सड़क से सटे प्रभावित गांव के ग्राम प्रधान और आम लोग सड़क पर उतर गए हैं। लोगों के विरोध के कारण कोयला लोड सैकड़ों हाइवा की लंबी कतार लग गई।
पचवारा कोल माइंस से पश्चिम बंगाल पावर डेवलपमेंट निगम और पश्चिम बंगाल सरकार के थर्मल पावर स्टेशनों के लिए कोयला की सप्लाई की जाती है। पचुवाड़ा कोयला खान परिवहन प्रभावित संघ का दावा है कि आदिवासी रैयतों जमीन को अधिग्रहण किए बिना फर्जी खनन पट्टा के आधार पर अनैतिक रूप से आमडापाड़ा, गोपीकांदर,काठीकुंड और दुमका रेलवे साइडिंग तक मुख्य सड़क पर प्रतिदिन करीब 1 हजार से अधिक हाइवा ट्रक में करीब 60 हजार टन कोयला प्रतिदिन कोयले अवैध रूप से खनन कर परिवहन किया जा रहा है।इस कोयला परिवहन से एक बड़ी आबादी प्रभावित हो रही है।हादसों में लोग जान गवां रहे हैं और प्रदूषण से लोगों की सेहत खराब हो रही है।इधर विस्थापन विरोधी आंदोलनकारी मुन्नी हांसदा ने कहा कि जब तक विस्थापितों को उचित मुआवजा, सुविधा और समझौते के शर्तो का पालन सुनिश्चित नहीं होगा तब तक माइंस में माइनिंग और कोल ट्रांसपोर्टिंग ठप रखा जाएगा।
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*पचुवाड़ा कोयला खान परिवहन प्रभावित संघ की मुख्य मांगें–*
● आमडापाड़ा स्थित कोल माइंस से लेकर दुमका रेलवे साइडिंग तक अलग से कोयला परिवहन के लिए अलग कोल कॉरिडोर अविलंब बनाया जाए।
●अलग कोल कॉरिडोर बनने तक कोयला लड़े वाहनों का परिचालन सुबह 6 बजे शाम 7 बजे तक बंद रखा जाए।
●वर्तमान स्टेट हाई वे के अमड़ापाड़ा-काठीकुंड-दुमका भाग की सड़क का चौड़ीकरण किया जाए।
●कोयला परिवहन के दौरान होने वाले किसी भी दुर्घटना में मृतक के परिवार को 20 हजार मासिक पेंशन तथा 25 लाख रुपये एक मुश्त सहायता राशि दी जाए।
घायलों को 5 लाख सहायता राशि और वास्तविक चिकित्सा खर्च दिया जाए।
●सड़क किनारे बसे गांव में ध्वनि तथा धूल प्रदूषण से रोकथाम के लिए मासिक 5 हजार रुपए प्रति परिवार को देना सुनिश्चित किया जाय।
●कोयला खान में आदिवासी जमीन का मुआवजा राशि 4.64 करोड़ प्रति एकड़ राज्य सरकार राज्यादेश द्वारा निर्धारित दर के आधार से अविलंब भुगतान किया जाए।
●प्रत्येक रैयत के परिवार के 18 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को डब्लूबीपीडीसीएल में या सरकारी नौकरी दी जाए
●भारत सरकार के रेल मंत्रालय से कोयला परिवहन के लिए रैक उपलब्ध नहीं करवाया जाए,जब तक कि सभी मांगो को विधिवत तरीके से पूरा न कर दिया जाए।
●कोयला मंत्रालय भारत सरकार,कोल कंट्रोलर से माइंस ओपनिंग स्वीकृति निलंबित रखा जाए।
●मांगे पूरी होने तक
वन,पर्यावरण एवं वायुमंडल परिवर्तन मंत्रालय से पर्यावरण तथा वन भूमि की अनुमति को निलंबित रखा जाए।