नई दिल्ली । भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी पर अमेरिका में रिश्वत देने के आरोपों ने न केवल भारत बल्कि वैश्विक स्तर पर हड़कंप मचा दिया है। अडानी ग्रुप पर आरोप है कि उसने भारत में सौर ऊर्जा परियोजनाओं के कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को 26.5 करोड़ डॉलर (लगभग 2,200 करोड़ रुपये) की रिश्वत दी। इस पर अमेरिका ने इस मामले पर कहा कि भारत और अमेरिका के संबंध मजबूत नींव पर टिके हैं और दोनों देश इस मुद्दे को भी सुलझा लेंगे। हालांकि, उन्होंने मामले की विस्तृत जानकारी के लिए एसईसी और डीओजे से संपर्क करने की सलाह दी।
अमेरिकी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) और डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस (डीओजे) इस मामले की जांच कर रहे हैं। गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी समेत सात अन्य पर आरोप है कि उन्होंने आंध्र प्रदेश और ओडिशा के सरकारी अधिकारियों को महंगी शर्तों पर बिजली खरीदने के लिए रिश्वत दी। आरोपों के मुताबिक, 2021 में आंध्र प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद राज्य सरकार ने 7,000 मेगावाट बिजली खरीदने की मंजूरी दी। रिश्वत की रकम प्रति मेगावाट 25 लाख रुपये आंकी गई, जो कुल 1,750 करोड़ रुपये बनती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अडानी मामले का असर भारत और अमेरिका के द्विपक्षीय संबंधों पर सीमित रहेगा। व्हाइट हाउस ने इस पर भरोसा जताया कि दोनों देश वैश्विक मुद्दों पर अपने सहयोग को बरकरार रखेंगे। अडानी ग्रुप ने इन आरोपों को खारिज करते हुए उन्हें निराधार और झूठा बताया है। ग्रुप का कहना है कि यह मामला भारतीय न्यायिक प्रणाली से जुड़ा है और अमेरिका में इसके लिए मुकदमा चलाना अनुचित है। यह पहला मौका नहीं है जब अडानी ग्रुप विवादों में घिरा हो। हालांकि, इस बार का मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठा है, जो भारत की छवि और गौतम अडानी की साख को प्रभावित कर सकता है।