उत्तर भारतीय कर रहे कानून की मांग तो दक्षिणी राज्यों के मुख्यमंत्री जनसंख्या बढ़ाने पर दे रहे जोर
नई दिल्ली । देश में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर उत्तर-दक्षिण भारत में अलग-अलग राग अलाप रहे हैं। एक ओर जहां उत्तर भारतीय जनसंख्या नियंत्रण कानून लाये जाने की मांग कर रहे हैं तो दूसरी ओर दक्षिण भारत के दो राज्यों के मुख्यमंत्री अपनी जनता को ज्यादा से ज्यादा बच्चे पैदा करने की सलाह दे रहे हैं। बता दें कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने राज्य की बुजुर्ग होती आबादी को देखते हुए पिछले हफ्ते कहा था कि लोगों को अधिक बच्चे पैदा करने चाहिए। उन्होंने यह भी कहा था कि उनकी सरकार इसे प्रोत्साहित करने के लिए कानून लाने की योजना भी बना रही है। इसके बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने एक पुराने आशीर्वाद का जिक्र करते हुए लोगों को 16 बच्चे पैदा करने की सलाह और शुभकामना दे डाली। दरअसल दोनों मुख्यमंत्री यह सलाह इसलिए दे रहे हैं क्योंकि जल्द ही देश में संसदीय सीटों का नये सिरे से परिसीमन होना है। इस परिसीमन के मुताबिक दस लाख लोगों की आबादी पर एक सांसद होगा।
राष्ट्रीय राजनीति उत्तर भारत पर केंद्रित होने का सता रहा डर
दक्षिणी राज्यों के नेताओं को परिसीमन के बाद राष्ट्रीय राजनीति पूरी तरह से उत्तर भारत पर केन्द्रित होने का डर सता रहा है। इसका कारण है कि दक्षिणी राज्यों ने जनसंख्या नियंत्रण के मामले में तो बेहतरीन प्रदर्शन कर दिया लेकिन अब इसकी वजह से वहां प्रजनन दर कम हो गयी है जिससे उन्हें डर है कि यदि आबादी के लिहाज से संसदीय सीटों का निर्धारण हुआ तो देश की राष्ट्रीय राजनीति पूरी तरह उत्तर भारत केंद्रित हो जायेगी। दक्षिणी राज्यों की चिंता का बड़ा कारण जल्द ही होने वाला लोकसभा सीटों का परिसीमन भी है। यह कार्य जनगणना के तुरंत बाद होगा। हम आपको बता दें कि देश में वर्तमान में निर्वाचन क्षेत्र की सीमाएँ जनसंख्या के अनुसार तय की जाती हैं। यदि जन्म दर स्थिर रहती है तो आंध्र प्रदेश में संसद सीटों की संख्या 25 से घटकर 20, कर्नाटक में 28 से 26, केरल में 20 से 14, तमिलनाडु में 39 से 30 और तेलंगाना में 17 से 15 तक हो जाने की उम्मीद है। वहीं दूसरी ओर, उत्तर के राज्यों की जनसंख्या अधिक होने से उनके निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या में वृद्धि होगी, जिससे उन्हें संसद में बड़ी आवाज मिलेगी। इसके अलावा यदि संसद की सीटें बढ़ाने का फैसला होता है तो भी उत्तरी राज्यों को ही ज्यादा फायदा होगा क्योंकि दक्षिण में जनसंख्या अनुपात के हिसाब से कम सीटें आएंगी।
दो से ज्यादा बच्चे वाला व्यक्ति ही स्थानीय निकाय चुनाव लड़ पायेगा
जहां तक मुख्यमंत्रियों के बयान की बात है तो आपको बता दें कि चंद्रबाबू नायडू ने तो यहां तक कह दिया है कि दो से ज्यादा बच्चे वाला व्यक्ति ही स्थानीय निकाय चुनाव लड़ पायेगा। बताया जा रहा है कि पड़ोसी राज्य तेलंगाना में भी ऐसा कानून लाने की मांग हो रही है ताकि लोग ज्यादा बच्चे पैदा करें।
दक्षिण भारत में बुजुर्ग आबादी बढ़ेगी
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) और इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर पॉपुलेशन साइंसेज (आईआईपीएस) द्वारा तैयार इंडिया एजिंग रिपोर्ट 2023 के अनुसार, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और तेलंगाना में बुजुर्गों की आबादी अधिक है। रिपोर्ट कहती है कि 2021 और 2036 के बीच इन राज्यों में बुजुर्गों की दर में बहुत अधिक तेजी से वृद्धि होगी। माना जा रहा है कि केरल की जनसंख्या में बुजुर्गों की हिस्सेदारी 2021 की 16.5 फीसदी से बढ़कर 2036 में 22.8 फीसदी हो जाएगी। तमिलनाडु में 13.7 फीसदी से बढ़कर 2036 में 20.8 फीसदी हो जाएगी, आंध्र प्रदेश में 2021 के 12.3 फीसदी से बढ़कर 2036 में 19 फीसदी हो जाएगी, कर्नाटक में बुजुर्गों की आबादी 11.5 फीसदी से बढ़कर 2036 में 17.2 फीसदी हो जाएगी और तेलंगाना में 2021 के 11 फीसदी से बढ़कर 2036 में 17.1 फीसदी हो जाएगी। 15 साल की इस अवधि में जनसंख्या में बुजुर्गों का अनुपात दक्षिण में 6-7 फीसदी बढ़ जाएगा जबकि उत्तर में यह लगभग 3-4 फीसदी होगा।