नई दिल्ली । जहरीले सांप किंग कोबरा के बारे में नई खोज चौंकाने वाली है और इसने किंग कोबरा के बारे में एक बड़ा रहस्य उजागर किया है। रिसर्च के अनुसार, ये चार प्रजातियां मुख्य रूप से एशिया, समुद्री दक्षिण-पूर्व एशिया, भारत के पश्चिमी घाट और फिलीपींस के उत्तरी द्वीप लूजोन में पाई जाती हैं। कर्नाटक के अगुंबे स्थित कलिंगा सेंटर फॉर रेनफॉरेस्ट इकोलॉजी के वैज्ञानिकों ने 12 साल तक चली रिसर्च के बाद यह खुलासा किया। डॉक्टर पी गौरी शंकर की अगुवाई में की गई यह रिसर्च 2012 से 2024 तक चली, जिसमें किंग कोबरा की शारीरिक संरचना और जीन का गहन अध्ययन किया गया। इस अध्ययन में किंग कोबरा की चार नई प्रजातियों की पहचान की गई।
पहली प्रजाति ओफियोफैगस कालिंगा दक्षिण-पश्चिम भारत के पश्चिमी घाट में पाई जाती है, जिसके शरीर पर 40 से कम धारियां होती हैं। दूसरी प्रजाति ओफियोफैगस हन्नाह उत्तर और पूर्वी भारत, अंडमान द्वीप समूह, पाकिस्तान, बर्मा, चीन और थाईलैंड में पाई जाती है, जिसके शरीर पर 50 से 70 धारियां होती हैं। तीसरी प्रजाति ओफियोफैगस बंगारस मलय प्रायद्वीप, ग्रेटर सुंडा द्वीप समूह और दक्षिणी फिलीपींस में पाई जाती है, और इसके शरीर पर 70 से ज्यादा धारियां होती हैं। चौथी प्रजाति ओफियोफैगस सल्वाटाना उत्तरी फिलीपींस के लूजोन में पाई जाती है, जिसके शरीर पर कोई धारियां नहीं होतीं। डॉक्टर पी गौरी शंकर ने बताया कि कई सालों से यह अनुमान लगाया जा रहा था कि किंग कोबरा की एक से अधिक प्रजातियां हो सकती हैं, लेकिन इस शोध ने इसे साबित किया।
शोध टीम ने किंग कोबरा के टिश्यू के नमूने इकट्ठा किए और उनके रंग, धारियों, शल्कों और शरीर के अनुपात जैसे पहलुओं पर गहराई से अध्ययन किया। वर्तमान में, किंग कोबरा को इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर द्वारा असुरक्षित श्रेणी में रखा गया है और कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल ट्रेड इन एंडेंजर्ड स्पीशीज में भी इसे लिस्ट किया गया है, जिससे तस्करी और शिकारियों से इसका अस्तित्व खतरे में है। वैज्ञानिकों का मानना है कि किंग कोबरा की प्रत्येक प्रजाति के लिए अलग से संरक्षण योजना बनाई जानी चाहिए, क्योंकि हर प्रजाति की अपनी विशेष आवश्यकताएं होती हैं।
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