शारदीय नवरात्रि का व्रत बिना कन्या पूजन के पूर्ण नही माना जाता है। नवरात्रि के इन 9 दिनों का समापन कन्याओं को भोज करा कर ही सम्पूर्ण माना जाता है। कई भक्त जन अष्टमी के दिन तो कुछ नवमी के दिन कन्या पूजन करते हैं। नौ कन्याएं मां का नौ स्वरूप मानी जाती हैं। इस दौरान एक लांगुर की भी पूजा होती है, जिसे भैरव का स्वरूप माना जाता है। मान्यता है कि कन्याओं को भोजन कराने से घर में सुख, शांति और संपन्नता आती है। इस बार अष्टमी व नवमी तिथि एक ही दिन पड़ रही है। शास्त्रों में अष्टमी युक्त नवमी तिथि बेहद शुभ मानी गई है। नवरात्रि नवमी की पौराणिक कथा अनुसार भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की कठोर तपस्या करके ही 8 सिद्धियां प्राप्त की थी। कहते हैं मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हो गया था और वह महादेव अर्धनारीश्वर कहलाए थे। मां दुर्गा का नौवां स्वरूप अन्य सभी स्वरूपों की तुलना में सबसे ज्यादा शक्तिशाली कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि मां दुर्गा का यह स्वरूप सभी देवी देवताओं के तेज से प्रकट हुआ था। मां सिद्धिदात्री ने दैत्य महिषासुर का अंत करके सभी को इसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाई थी।
नवरात्रि नवमी पूजा मुहूर्त 2024
11 अक्टूबर की दोपहर 12:06 बजे से 12 अक्टूबर 2024 की सुबह 10:58 बजे तक रहेगी।
नवरात्रि नवमी पूजा विधि
- नवरात्रि की नवमी तिथि पर सुबह नहा धोकर प्रसाद, नवरस युक्त भोजन तैयार करें।
- पूजा शुरू करने से पहले देवी सिद्धिदात्री का ध्यान करें और उनके मंत्रों का जप करें।
- फिर मां को फल, भोग, मिष्ठान, पांचों मेवा, नारियल आदि चीजें चढ़ाएं।
- इसके बाद माता को रोली लगाएं।
- इसके बाद दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
- फिर माता आरती करें। साथ में हवन पूजन भी करें।
- इसके बाद कन्या भोजन कराएं।
- फिर अपना व्रत खोल लें।