नई दिल्ली । मोटापे के खिलाफ जंग के लिए लॉन्च हुईं दो दवाएं- मौनजारो और वेगोवी तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं। ये दवाएं मूलरूप से टाइप-2 डायबिटीज के इलाज के लिए बनाई गई थीं, लेकिन अब इन्हें वजन घटाने के लिए भी प्रभावी माना जा रहा है। मार्च 2025 में भारत में लॉन्च हुई मौनजारो की सिर्फ तीन महीने में बिक्री 50 करोड़ पहुंच गई। मई में इसकी मासिक बिक्री 13 करोड़ थी, जो जून में बढ़कर 26 करोड़ हो गई। आंकड़ों के मुताबिक मौनजारो जून में 87,986 यूनिट बिकी।
मौनजारो और वेगोवी जीएलपी-1 श्रेणी की दवाएं हैं, जो इंसुलिन जैसे हार्मोन की तरह काम करती हैं। ये दवाएं ब्लड शुगर को नियंत्रित करती हैं, भूख को दबाती हैं, पेट की खाली होने की गति को धीमा करती हैं और इस तरह से व्यक्ति को लंबे समय तक पेट भरा हुआ महसूस होता है, जिससे वह कम खाता है। डॉक्टरों के मुताबिक ये दवाएं डाइट और एक्सरसाइज के साथ मिलकर वजन कम करने में काफी कारगर हैं।
पीएम नरेंद्र मोदी ने हाल ही में एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा था कि 2050 तक भारत में 44 करोड़ लोग मोटापे से प्रभावित हो सकते हैं। वर्तमान में देश के करीब 40 फीसदी वयस्क ज्यादप वजन वाले हैं और 11.4 फीसदी डायबिटीज से पीड़ित हैं। मोटापा और डायबिटीज अब केवल महानगरों तक सीमित नहीं हैं, छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में भी तेजी से बढ़ रहा हैं।
एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक वेट लॉस दवा बाजार 2030 तक 10,790 अरब तक पहुंच सकता है। भारत में भी यह बाजार 2021 से अब तक पांच गुना बढ़ चुका है और इसका वर्तमान मूल्य 6,280 करोड़ है। फार्मास्युटिकल विश्लेषक नादिम अनवर के मुताबिक अनहेल्दी खानपान, शारीरिक निष्क्रियता और पर्यावरणीय बदलाव ने मोटापे को महामारी जैसा बना दिया है, जो दवा उद्योग की मांग को बढ़ा रहा है। फोर्टिस हॉस्पिटल, बेंगलुरु के एडिशनल डायरेक्टर डॉ. मनीष जोशी ने बताया कि मौनजारो जैसी दवाएं टाइप-2 डायबिटीज के साथ मोटापे से ग्रस्त मरीजों के लिए फायदेमंद हैं, लेकिन इन्हें केवल विशेषज्ञ की सलाह से ही इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि ये दवाएं नॉन-सर्जिकल विकल्प की तलाश कर रहे लोगों के लिए उम्मीद की किरण हैं, लेकिन इनका प्रयोग केवल डाइट और एक्सरसाइज के साथ ही प्रभावी होता है।
इन दवाओं की कीमत 17,000 से 26,000 प्रति माह के बीच है, जो आमतौर पर मध्यम वर्गीय परिवारों की पहुंच से बाहर है। इसके बावजूद डॉक्टरों का कहना है कि इनकी पूछताछ और मांग लगातार बढ़ रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेताया है कि ये दवाएं सभी के लिए सुलभ नहीं हैं और इससे समाज के कमजोर वर्गों पर प्रतिकूल असर हो सकता है।
रिपोर्ट के मुताबिक क्लिनिकल ट्रायल की तुलना में वास्तविक जीवन में इन दवाओं की असरकारिता कम पाई गई है। भारत में वजन कम करने वाली दवाओं का बाजार तेजी से बढ़ रहा है और यह संकेत देता है कि लोग अब मोटापे को गंभीरता से ले रहे हैं। यह भी जरूरी है कि दवाओं का प्रयोग संतुलित डाइट, व्यायाम और विशेषज्ञ सलाह के साथ ही किया जाए, वरना इसके साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं।
WhatsApp Group जुड़ने के लिए क्लिक करें 👉
Join Now