रांची । कृषि और सहकारिता मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने सोमवार को दिल्ली में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष पर आयोजित सहकार से समृद्धि नामक राष्ट्रीय मंथन कार्यक्रम में झारखंड की सहकारिता क्षेत्र की चुनौतियों और जरूरतों को मजबूती से उठाया।
उन्होंने केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में कहा कि झारखंड सहकारिता के क्षेत्र में पिछड़ा हुआ राज्य है और इसे विशेष नीति और आर्थिक सहयोग की आवश्यकता है।
मंत्री ने बताया कि राज्य में वर्तमान में 4,400 एमपीसीएस कार्यरत हैं, जिनमें अधिकांश आर्थिक रूप से कमजोर हैं। राज्य सरकार इन्हें चार श्रेणियों में बांटते हुए अब तक 28 करोड़ रुपये वर्किंग कैपिटल के रूप में दे चुकी है। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि झारखंड के कुछ चयनित एमपीसीएस को वर्किंग कैपिटल मुहैया कराकर उन्हें सुदृढ़ किया जाए।
गोदाम निर्माण पर बात करते हुए मंत्री ने कहा कि झारखंड को भंडारण क्षमता में 57 प्रतिशत की कमी का सामना करना पड़ रहा है। पैक्स के पास 10 प्रतिशत अंशदान की भी सामर्थ्य नहीं है, ऐसे में केंद्र को 100 प्रतिशत अनुदान देकर गोदाम का निर्माण करना चाहिए।
कार्यक्रम में धान की एमएसपी को वैधानिक दर्जा देने, एनसीसीटी ट्रेनिंग सेंटर के रूप में फुद्दी सेंटर के विकास और झारखंड में नाफेड का रीजनल सेंटर स्थापित करने की मांग भी मंत्री ने रखी। उन्होंने एससी–एसटी समुदाय को सहकारिता में उचित प्रतिनिधित्व देने और नई सहकारी समितियों के गठन में आरक्षण और विशेष योजना लागू करने का भी सुझाव दिया।
मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने बैठक में भरोसा दिलाया कि सहकारिता आंदोलन को सशक्त बनाने के लिए राज्यों की सभी व्यवहारिक जरूरतों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा और ज़रूरत पड़ने पर नीतिगत बदलाव भी किए जाएंगे।
कार्यक्रम में देशभर के सहकारिता मंत्री, अधिकारी, विशेषज्ञ और सहकारी संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए।