स्वास्थ्य और शिक्षा की लचर व्यवस्था पर भी सरकार को देना होगा ध्यान
राज्य और राजनीति
चंदन मिश्र
झारखंड में सत्तारूढ़ दल की पूरी सियासत फिलहाल मईयां योजना पर केंद्रित है। राज्य की 18 से 50 वर्ष की आयु वर्ग की महिलाओं को सरकार ने इस योजना के माध्यम से ढाई हजार रुपए का आर्थिक लाभ देने की दिशा में काम शुरू किया है। यह सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है। सत्तारूढ़ दलों को सत्ता तक पहुंचाने में इस योजना की बड़ी भूमिका मानी जा रही है। नि:संदेह इस योजना से राज्य की महिलाओं का हौसला बुलंद होगा। महिलाओं ( मईयां) को आर्थिक रूप से स्वावलंबी और सशक्त बनाने की दिशा में यह एक सार्थक प्रयास भी है। राज्य की लाभुक महिलाएं इस योजना के तहत मिलने वाली राशि पाकर खुश होंगी। हर महीने उनके बैंक खाते में ढाई हजार रुपए जब पहुंचेगी, उनकी मनोदशा समझी जा सकती है। लेकिन एक हजार रुपए का चुनाव पूर्व लाभ पा चुकीं बड़ी संख्या में महिलाएं बड़ी राशि पाने के लाभ से वंचित भी हो रहीं हैं। हजारों की संख्या में लाभुक महिलाओं के नाम सूची से काटे गए हैं। उन महिलाओं को पीड़ा जरूर होगी। सत्ताधारी दलों ने चुनाव के पहले महिलाओं के सामने मईयां सम्मान योजना को लेकर जो ऐलान किया था, उसे शुरू करने की अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है। दिसंबर में ही इस योजना की पहली किश्त जारी हो जानी चाहिए थी। किंतु सरकारी योजनाओं से जुड़ी तकनीकी जटिलताओं से निपटने के बाद ही इसे सरजमीं पर उतारने का काम पूरा हो पाता है। दिसंबर महीने में सरकार के चालू वित्तीय वर्ष का दूसरा अनुपूरक बजट पास किया गया। इस योजना के लिए विशेष बजट की व्यवस्था की गई है। इन वित्तीय व्यवस्था के बाद ही इस राशि को विभाग के हवाले किया गया। अब इसे लाभुकों के खाते में भेजने की तैयारी को अंतिम रूप दिया जाएगा। छह जनवरी को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन राजधानी रांची में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित कर इसे लाभुक महिलाओं के खाते में जारी करेंगे। इसके लिए बड़ी संख्या में महिलाओं को राजधानी में इक_ा किया जाएगा। एक बड़ी सभा में रूप में होनेवाले एक कार्यक्रम के माध्यम से पूरे राज्य को इस योजना के क्रियान्वयन के बारे में बताया जाएगा। किंतु राज्य में सरकार को सिर्फ मईयां योजना पर ध्यान केंद्रित करने से काम नहीं चलेगा। झारखंड में चिकित्सा और शिक्षा की व्यवस्था खराब है। सरकार को मईयां योजना के साथ साथ शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर करने की दिशा में बहुत तेज कदम उठाने होंगे। स्वास्थ व्यवस्था का आलम यह है कि प्रखंड को छोड़ दें तो जिला से लेकर राज्य मुख्यालयों तक स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी खराब है। डॉक्टरों, चिकित्सा और स्वास्थ्य कर्मियों का घोर अभाव है। पिछले कुछ वर्षों में जितने नए मेडिकल कॉलेज और अस्पताल खुले हैं, वहां शिक्षकों और चिकित्सा कर्मियों की कमी है। इसका असर स्वास्थ्य व्यवस्था के साथ-साथ चिकित्सा शिक्षा पर भी पड़ रहा है। झारखंड में लगभग पौने दो लाख सरकारी शिक्षकों के पद खाली हैं। इसकी वजह से स्कूल और कॉलेजों में पढ़ाई प्रभावित हो रही है। सरकार को इन खाली पदों पर जल्द भर्तियां करनी होगी। इसके कारण सरकार के खजाने पर आर्थिक बोझ बढऩा तय है। इनके अलावा सरकारी कामकाज चलाने के लिए सरकार के विभिन्न विभागों में खाली पड़े लगभग एक लाख और पदों पर भी नियुक्तियां करनी होगी। अर्थात पौने तीन लाख सरकारी पदों पर नई नियुक्तियों के कारण करोड़ों रुपए वेतन, भत्ता पर खर्च होगा। इन पदों पर नियुक्तियां राज्य के लिए आवश्यक होगा। राज्य की पचास लाख लाभुक महिलाओं के खाते में ढाई हजार रुपए भेजने से सरकार को अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करने का अवसर तो प्राप्त होगा, किंतु ऐसी योजनाएं लंबी कालावधि के लिए सरकारी खजाने पर बड़े आर्थिक बोझ के रूप में सिद्ध होंगी। इससे राज्य की अन्य विकास योजनाएं प्रभावित होती हैं।