नई दिल्ली । नए अध्ययन से खुलासा हुआ है कि कभी धूम्रपान न करने वाले लोगों में भी फेफड़ों के कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और इसका प्रमुख कारण वायु प्रदूषण हो सकता है। इस अध्ययन में विश्व स्वास्थ्य संगठन की अंतरराष्ट्रीय कैंसर अनुसंधान एजेंसी (आईएआरसी) सहित कई अन्य संगठनों के शोधकर्ताओं ने भाग लिया।
शोधकर्ताओं ने ‘ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी 2022 डेटासेट’ सहित अन्य आंकड़ों का विश्लेषण किया और फेफड़ों के कैंसर के चार उपप्रकारों – एडेनोकार्सिनोमा, स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा, छोटे सेल कार्सिनोमा और बड़े सेल कार्सिनोमा का राष्ट्रीय स्तर पर अध्ययन किया। इस अध्ययन में पाया गया कि एडेनोकार्सिनोमा पुरुषों और महिलाओं दोनों में फेफड़ों के कैंसर का प्रमुख प्रकार बन चुका है। रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में दुनिया भर में धूम्रपान न करने वाले लोगों में फेफड़ों के कैंसर के 53-70 प्रतिशत मामले इसी उपप्रकार के पाए गए। शोधकर्ताओं ने कहा कि कई देशों में धूम्रपान की दर कम हो रही है, लेकिन फिर भी फेफड़ों के कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। इस प्रवृत्ति का मुख्य कारण वायु प्रदूषण को माना जा रहा है।
आईएआरसी के कैंसर निगरानी शाखा के प्रमुख फ्रेडी ब्रे ने कहा, धूम्रपान की आदतों में बदलाव और वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर फेफड़ों के कैंसर के मुख्य कारक बन रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि फेफड़ों का कैंसर वर्तमान में कैंसर से संबंधित मौतों के सबसे बड़े कारणों में से एक है। विशेषज्ञों का मानना है कि डीजल के धुएं, औद्योगिक प्रदूषण और वाहनों से निकलने वाली जहरीली गैसें हवा में कैंसरकारी तत्वों को बढ़ा रही हैं, जिससे धूम्रपान न करने वाले लोगों में भी यह घातक बीमारी पनप रही है।
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