शिमला । कैलाश पर्वत को पौराणिक ग्रंथों में भगवान शिव का स्थान बताया है। यह बर्फ का पर्वत है और यह साल भर बर्फ की मोटी परतों से ढका रहता है, लेकिन अब इस स्थान पर बीते कुछ समय में व्यापक बदलाव नजर आ रहे हैं। तिब्बत के भूभाग में स्थित यह पवित्र पर्वत शिखर 6,638 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां की एक तस्वीर सामने आई है, जिसमें पहाड़ियों पर बर्फ कम दिखाई दे रही है।
जानकारी के मुताबिक बर्फ विहीन कैलाश का यह दृश्य न केवल पर्यावरणविदों को चिंता में डाल रहा है, बल्कि उन लाखों श्रद्धालुओं के मन में भी सवाल खड़े कर रहा है, जो इसे अपने आध्यात्मिक केंद्र के रूप में देखते हैं। क्या यह जलवायु परिवर्तन का एक और गंभीर संकेत है, या फिर यह किसी अनहोनी की ओर इशारा कर रहा है? पिछले महीने स्थानीय गाइड और पर्यटकों ने देखा कि कैलाश पर्वत के उत्तरी ढलान जो आमतौर पर बर्फ से ढके रहते थे, अब बर्फ विहीन हो चुके हैं। तस्वीर देखकर श्रद्धालु परेशान हैं। एक श्रद्धालु ने कहा कि वह जीवन भर इस पर्वत को बर्फ से ढके देखा है। भगवान शिव का यह घर बर्फ की शीतलता से ही पहचाना जाता था। अब यह सूना और उदास है। क्या यह हमारे पापों का फल है?
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इस बदलाव को जलवायु परिवर्तन से जोड़ा जा रहा है। एक विशेषज्ञ का कहना है कि यह वास्तव में चिंता का विषय है। बर्फ का अभाव जलवायु संकट का संकेत है। कैलाश क्षेत्र में तापमान में वृद्धि और ग्लेशियरों के पिघलने से यह स्थिति पैदा हुई है। पिछले दशक में हिमालय क्षेत्र में औसत तापमान 0.6 डिग्री सेल्सियस बढ़ा है, जो ग्लेशियरों को तेजी से कम कर रहा है, लेकिन यह बदलाव केवल वैज्ञानिकों के लिए नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिक रूप से भी गहरा असर डाल रहा है।
श्रद्धालु मानते हैं कि कैलाश की बर्फ में शिवजी का वास है। अब वह बर्फ गायब हो रही है। तो क्या यह भगवान का क्रोध है? तमाम सनातनी लोग इस प्राकृतिक बदलाव को अलौकिक संकेत मान रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने बचपन में पूरा पर्वत बर्फ से ढका देखा है। अब तो बच्चे पूछते हैं कि बर्फ कहां है? हमारा जीवन इस पर्वत से जुड़ा है। अगर यह सूख गया, तो हमारा क्या होगा?
वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों का कहना है कि यह स्थिति जल्द ही नियंत्रित नहीं की गई तो हिमालयी क्षेत्र में पानी की भारी कमी हो सकती है, जो नदियों और पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करेगी, लेकिन श्रद्धालुओं के लिए यह सिर्फ पर्यावरण का मुद्दा नहीं, बल्कि उनकी आस्था का सवाल भी है। वे प्रार्थना कर रहे हैं कि भगवान शिव इस पवित्र स्थान को फिर से शीतल बर्फ से भर दें। क्या यह प्रकृति का संदेश है या मानव की लापरवाही का परिणाम, इसका जवाब समय ही देगा।
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