नई दिल्ली । यूक्रेन से युद्ध के बीच रूस में मजदूरों की कमी हो गई है क्योंकि रूस के लाखों युवा सेना में चले गए हैं। अब वहां की फैक्ट्रियां और निर्माण कंपनियां मजदूरों की भारी कमी झेल रही हैं। इस कमी को पूरा करने रूस ने भारत की तरफ रुख किया है। रूस की योजना है कि वह साल 2025 के आखिर तक भारत से करीब 10 लाख मजदूर बुलाएगा, जो उसके अलग-अलग शहरों और इंडस्ट्रीज में काम करेंगे। इस योजना को आसान बनाने के लिए रूस भारत में एक नई व्यवस्था बना रहा है ताकि वीजा और दस्तावेजों का काम भी जल्दी निपटाया जा सके।
एक रिपोर्ट के मुताबिक रूस की कुछ बड़ी कंपनियां चाहती हैं कि भारत से जाने वाले लोग वहां की मेटल फैक्ट्रियों, मशीन बनाने वाली इंडस्ट्री और कंस्ट्रक्शन के काम में शामिल हों। ये काम शारीरिक रूप से कठिन हो सकते हैं लेकिन मजदूरों को इसकी अच्छी कीमत मिल सकती है। भारतीय मजदूरों के लिए कुछ चुनौतियां भी होंगी। सबसे बड़ी चुनौती वहां का मौसम है, क्योंकि रूस में सर्दियों में तापमान माइनस 15 से 20 डिग्री रहता है। इसके अलावा खाने-पीने की आदतें और भाषा भी एक बड़ी दिक्कत है, क्योंकि रूस में ज्यादातर लोग रूसी भाषा बोलते हैं और वहां शाकाहारी खाना कम मिलता है, लेकिन रूस की कंपनियां कह रही हैं कि वह भारतीयों को गरम कपड़े, अच्छा रहना और खाना उपलब्ध कराएंगी, ताकि उन्हें कोई तकलीफ न हो।
इस योजना की शुरुआत हो चुकी है। कुछ भारतीय मजदूरों ने रूस में जाकर काम शुरू कर दिया है। मास्को और सेंट पीटर्सबर्ग जैसी जगहों पर भारतीय मजदूरों का पहला बैच भेजा गया है और वहां उन्हें शुरुआती ट्रेनिंग भी दी गई है। करीब 4000 भारतीयों ने आवेदन किया था और कुछ कलिनिनग्राद में काम भी शुरू हुआ है। रूस में बहुत सारी कंपनियां अब भारत में कैंप लगाकर मजदूरों की भर्ती कर रही हैं। सिर्फ भारत ही नहीं, रूस श्रीलंका और उत्तर कोरिया जैसे देशों से भी मजदूर बुलाने की तैयारी है। आने वाले समय में भारत और रूस के बीच एक खास समझौता भी हो सकता है, जिसके तहत भारत में ही मजदूरों को रूसी भाषा और मशीनों से जुड़ा प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि वह काम शुरू करने से पहले पूरी तरह तैयार रहें।
भारत के लिए ये मौका रोजगार के लिहाज़ से अहम माना जा रहा है। खासकर उन लोगों के लिए जो तकनीकी काम जानते हैं या किसी तरह का निर्माण कार्य कर सकते हैं। रूस में मिलने वाली सैलरी भारत की तुलना में अच्छी है और इससे कई परिवारों की आर्थिक स्थिति भी सुधर सकती है। इससे भारतीय मजदूरों को रूस के उद्योगों के मुताबिक प्रशिक्षित किया जा सकेगा, ताकि उनकी भाषा और काम को समझ सकें।