नई दिल्ली । महिलाओं को हार्मोनल सुरक्षा के चलते युवा अवस्था में हार्ट अटैक का खतरा कम ही रहता है। यह अलग बात है कि मेनोपॉज के बाद यह खतरा पुरुषों के बराबर हो जाता है। यहां चिंता की बात यह है कि अब यंग महिलाओं में भी हार्ट अटैक के मामले तेजी से देखने को मिल रहे हैं, जिसका मुख्य कारण बदलती जीवनशैली, स्मोकिंग और बढ़ता स्ट्रेस है।
इसे देखते हुए कहा जा सकता है कि वर्तमान में हार्ट डिजीज केवल पुरुषों की समस्या नहीं रह गई है, बल्कि महिलाओं में भी यह तेजी से बढ़ रही है।
आंकड़ों के अनुसार, हार्ट रोग महिलाओं में मृत्यु का प्रमुख कारण बनता जा रहा है, खासकर भारत जैसे विकासशील देशों में। हृदय विशेषज्ञ बताते हैं कि महिलाओं को युवावस्था में हार्ट अटैक से बचाने वाला हार्मोनल प्रोटेक्शन मेनोपॉज के बाद कम हो जाता है। इसके साथ ही जीवनशैली में परिवर्तन, शारीरिक गतिविधियों की कमी, गलत खानपान, और धूम्रपान जैसी आदतें इस खतरे को और बढ़ा देती हैं। साथ ही, ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव का इस्तेमाल भी यंग महिलाओं में हार्ट अटैक का खतरा पैदा कर रहा है।
चिकित्सक इसके लक्षण बताते हैं और कहते हैं कि महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण पुरुषों से भिन्न हो सकते हैं। जहां पुरुषों में सीने में तेज दर्द आम होता है, वहीं महिलाओं में यह दर्द हल्का हो सकता है, जो अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। इसके अलावा, सांस की कमी, अत्यधिक थकान, और पेट दर्द जैसे लक्षण भी हो सकते हैं, जो आमतौर पर गंभीरता से नहीं लिए जाते।
इसके लिए जरुरी है कि महिलाओं में हार्ट रोग को लेकर जागरूकता लाई जाए, क्योंकि इनमें इसकी कमी प्रमुख समस्या है। कई महिलाएं इसे पुरुषों की बीमारी मानती हैं और अपनी स्वास्थ्य समस्याओं पर ध्यान नहीं देतीं। इसके अलावा, पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते वे अपनी सेहत को प्राथमिकता नहीं देतीं, जिससे स्थिति गंभीर हो जाती है।
हार्टाटेक से बचाव के उपाय
महिलाओं को हार्ट डिजीज से बचने के लिए जागरूकता बढ़ाने की आवश्कता तो है। इसके साथ ही नियमित स्वास्थ्य जांच, स्वस्थ आहार, और व्यायाम को दिनचर्या में शामिल करने से इस बीमारी का खतरा कम किया जा सकता है। स्मोकिंग और अल्कोहल से बचना भी जरूरी है। इसके साथ ही, मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देकर स्ट्रेस और डिप्रेशन से बचा जा सकता है, जो हार्ट डिजीज के बड़े कारकों में से एक हैं।
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