रांची । झारखंड हाई कोर्ट काे राज्य सरकार की ओर से शुक्रवार को बताया गया कि झारखंड में लैंड सर्वे का काम दो जिलों लातेहार एवं लोहरदगा में पूरा हो चुका है। इसे संबंधित दस्तावेज रिकॉर्ड रूम में जमा किया जा चुका है। शेष जिलों के लैंड सर्वे के काम के लिए प्रक्रिया जारी है। कोर्ट ने मौखिक रूप से राज्य सरकार को लैंड सर्वे का काम अन्य जिलों में भी जल्द पूरी करने को कहा। हाई कोर्ट ने झारखंड में लैंड सर्वे का काम वर्षों से लंबित रहने को लेकर दाखिल जनहित याचिका की सुनवाई की।
महाधिवक्ता राजीव रंजन की ओर से कोर्ट को बताया गया कि कोविड एवं चुनावों के कारण लैंड सर्वे के काम में देरी हुई है। उनकी ओर से बताया गया कि फिलहाल दो जिलों में लैंड सर्वे का काम पूरा कर लिया गया है और अन्य जिलों में लैंड सर्वे के काम की स्थिति पर कोर्ट के समक्ष एक चार्ट प्रस्तुत किया गया। कोर्ट ने राज्य सरकार को आठ सप्ताह का समय देते हुए लैंड सर्वे के काम के प्रोग्रेस के संबंध में शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश देते हुए मामले के अगली सुनवाई 18 अक्टूबर को निर्धारित की है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने मौखिक रूप से राज्य सरकार से पूछा था कि झारखंड में लैंड सर्वे पूरा करने में क्यों देरी हो रही है। साथ ही यह भी पूछा था कि झारखंड में लैंड सर्वे का काम कब तक पूरा होगा?
झारखंड के कौन-कौन जिलों में लैंड सर्वे का काम पूरा हो चुका है और किन-किन जिलों में लैंड सर्वे का काम पूरा होने में और कितना समय लगेगा। इससे पहले याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि वर्ष 1980 से झारखंड में लैंड सर्वे का काम चल रहा है, 40 वर्ष से अधिक का समय बीत चुका है लेकिन राज्य सरकार लैंड सर्वे का काम अब तक पूरा नहीं कर सकी है। लैंड सर्वे पूरा नहीं होने से जमीन माफिया एक्टिव हो चुके हैं, वे जमीन के दस्तावेज में हेराफेरी कर जमीन का नेचर बदलकर इसकी खरीद बिक्री कर रहे हैं, जिससे राज्य सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है।
लैंड सर्वे का काम वर्षों से सरकार की ओर से चलाया जा रहा है, जो कब तक पूरा होगा, यह पता नहीं है। इसलिए एक समय सीमा निर्धारित की जानी चाहिए, जिसमें राज्य के सभी जिलों में लैंड सर्वे का काम पूरा हो सके। कोर्ट को बताया गया कि सबसे पहले 1932 में लैंड का सर्वे हुआ था।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया था कि राज्य के सभी जिलों में जल्द से जल्द लैंड सर्वे कराया जाए ताकि लैंड का मैनिपुलेशन ना हो। झारखंड में लैंड सर्वे होने से लैंड का रिकॉर्ड बनेगा। भू माफिया द्वारा सरकारी और वन भूमि की जमीन की गलत ढंग से खरीद बिक्री पर रोक लगेगी। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से यह भी आग्रह किया था कि राज्य में भू माफिया द्वारा गलत ढंग से जो जमीन की खरीद बिक्री की गई है, उसकी डीड को रद्द किया जाए। लैंड का सीमांकन किया जाए और इसे प्रकाशित किया जाए।