रांची । झारखंड हाई कोर्ट ने दलबदल एवं सदन में नेता प्रतिपक्ष के मामले में मामले को लेकर दाखिल भाजपा एवं बाबूलाल मरांडी की याचिका को सोमवार को निष्पादित कर दिया। साथ ही प्रदीप यादव की याचिका को एकल पीठ में स्थानांतरित कर दिया। कोर्ट ने कहा कि झारखंड विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता के रूप में अमर कुमार बाऊरी का चयन हो चुका है। ऐसे में अब इस याचिका की सुनवाई का कोई औचित्य नहीं है। इसलिए यह आशिक निष्पादित की जाती है। साथ ही राज्य में लोकायुक्त, मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन, राज्य सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त के पद नियुक्ति के संबंध में कोर्ट ने राज्य सरकार को नियुक्ति प्रक्रिया के संबंध में वर्तमान स्टेटस बताने को कहा है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 30 अगस्त निर्धारित की है। इससे पहले सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कोर्ट को बताया कि मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन और सूचना आयुक्त की नियुक्ति के संबंध में आवेदन मांगा गया था, जिसकी अंतिम तिथि खत्म हो चुकी है। मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष को लेकर आवेदकों के आवेदन की स्क्रूटनी का काम खत्म हो गया है। वहीं, सूचना आयुक्त की नियुक्ति के मामले में स्क्रुटनी का कार्य चल रहा है। जल्दी सारी प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। राज्य सरकार की ओर से संवैधानिक पदों पर नियुक्ति के संबंध में स्टेटस बताने के लिए कोर्ट से समय की मांग की गई। पूर्व की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा था कि लोकायुक्त, मानवाधिकार आयोग,राज्य सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त सहित कई संवैधानिक संस्थाओं के पद तीन से पांच साल से खाली पड़े हैं लेकिन इन्हें अब तक इसे नहीं भरा जा सका है, इसे जल्द भर जाए। कोर्ट ने शपथ पत्र के माध्यम से राज्य सरकार द्वारा लोकायुक्त सहित कई संवैधानिक पदों पर नियुक्ति को लेकर टाइम फ्रेम की अवधि कम करने को कहा था, जिसके आलोक में राज्य सरकार की ओर से लोकायुक्त, सूचना आयुक्त, ह्यूमन राइट कमीशन के चेयरमैन के पद पर नियुक्ति के लिए टाइम फ्रेम प्रस्तुत किया गया था।