चंदन मिश्र
राज्य और राजनीति
झारखंड के लिए 28 मार्च 25 की शाम कई मायनों में महत्वपूर्ण कही जा सकती है। देश के सबसे चर्चित और बड़े औद्योगिक समूह के स्वामी गौतम अदाणी शुक्रवार की शाम झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से उनके रांची स्थित आवास पर मिले। दोनों के बीच करीब दो घंटे तक मुलाकात हुई। झारखंड के मुख्यमंत्री और देश – विदेश के सबसे बड़े औद्योगिक समूह के चेयरपर्सन की औपचारिक मुलाकात ने सियासी के गलियारे में हलचल पैदा कर दी है। दरअसल झारखंड की सत्ता में काबिज झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस, राजद के नेता अदाणी समूह के चेयरपर्सन गौतम अदाणी को हमेशा निशाने पर लिया है। ऐसे में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का अदाणी समूह के मालिक से मिलने की घटना सबकी नजर में होना स्वाभाविक है। देखने में भले ही यह एक छोटी सी खबर या सूचना हो सकती है, लेकिन इसके सियासी मायने उससे कई गुना ज्यादा बड़े हैं।
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक दोनों के बीच की मुलाकात में झारखंड में ज्यादा से ज्यादा निवेश पर चर्चा हुई। झारखंड में अदाणी समूह के कई प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं। पूरा देश इसे जानता है। राज्य सरकार के सहयोग के बगैर कोई भी उद्योग धंधा नहीं चल सकता है। उद्योगपतियों को सरकार के सहयोग की जरूरत पड़ती ही है। हालांकि उद्योग धंधे से सरकार और राज्य को भी फायदा होता है। यानी परस्पर यह लाभ का सौदा होता है। संतालपरगना के गोड्डा जिले में अदाणी का एक बड़ा पावर प्रोजेक्ट्स अदाणी पावर प्रोजेक्ट्स चल रहा है। 1600 मेगावाट के पावर प्रोजेक्ट्स से बांग्ला देश को यहां पावर सप्लाई हो रही है।
झारखंड को भी कंपनी को बिजली देने का करार है। पावर प्लांट के अलावा गोड्डा में अंबुजा सीमेंट के भी एक प्रोजेक्ट्स पर कंपनी काम कर रही है। यह प्रोजेक्ट अदाणी समूह की ही एक इकाई है। यहां 40 लाख क्षमता की सीमेंट ग्रेडिंग यूनिट से उत्पादन होना है। इसमें प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर 2500 से अधिक लोगों को नियोजन होगा। इनके अलावा गोंडलपुरा खनिज परियोजना से 600 करोड़ रुपए के राजस्व मिलने की उम्मीद है। इस पर भी कंपनी का काम चल रहा है। झारखंड में जब अदाणी के पावर एवं अन्य प्रोजेक्ट चल रहे हैं, ऐसे में अदाणी कंपनी के चेयरपर्सन गौतम अदाणी का राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलना कोई आश्चर्य वाली बात नहीं कही जा सकती है। यह एक स्वाभाविक घटना है और इसे झारखंड के औद्योगिक विकास के लिए शुभ संकेत माना जा सकता है। यहां करोड़ों रुपए निवेश होंगे। आर्थिक विकास की गति तेज होगी।
झारखंड में औद्योगिक विकास होगा तो राज्य की तरक्की होगी। युवाओं को रोजगार मिलेगा। बेरोजगारों को नौकरी मिलेगी। आर्थिक स्थिति बेहतर होगी। किस राज्य का मुख्यमंत्री नहीं चाहेगा कि उसके राज्य में पूंजी निवेश हो और रोजगार के अवसर बढ़े। देश के औद्योगिक समूह का मूल सिद्धांत होता है- ना काहू से दोस्ती,ना काहू से बैर। सरकार किसी की भी हो, उनका उद्देश्य पूंजी निवेश और रोजगार सृजन होता है। व्यापारी किसी से पंगा नहीं लेना चाहते हैं। सबको मिलकर चलते हैं। दरअसल अदाणी समूह के खिलाफ कांग्रेस नेता और सांसद राहुल गांधी जिस ढंग से लगातार हमलावर रहे हैं, उसे देखते हुए इस मुलाकात को खास तवज्जो दिया जा रहा है। क्योंकि कांग्रेस के साथ राजनीति करने वाली पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी अदाणी समूह के खिलाफ कई बार आग उगली है। ऐसे में झामुमो नेता और राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का गौतम अदाणी से मिलना राजनीतिक गलियारे में चर्चा होना स्वाभाविक है। हालांकि इस मुलाकात के बाद झामुमो और कांग्रेस के प्रवक्ताओं की बोली बदल गई है। प्रवक्ताओं ने राज्य में औद्योगिक विकास के लिए अदाणी समूह के चेयरपर्सन गौतम अदाणी से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मुलाकात को झारखंड के विकास के लिए अच्छी बात कही है। वहीं भाजपा के प्रवक्ताओं ने झामुमो और कांग्रेस के प्रवक्ताओं पर चुटकी जरूर ली है।