नई दिल्ली। अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला, केके जैसे युवा, फिट और एक्टिव लोगों की अचानक हुई मौतों ने यह साबित कर दिया है कि दिल का दौरा अब किसी भी उम्र में किसी को भी हो सकता है। चौंकाने वाली बात यह है कि हार्ट अटैक अचानक नहीं आता, बल्कि इसका शरीर एक हफ्ते पहले ही संकेत देने लगता है। दिल को खून और ऑक्सीजन पहुंचाने वाली कोरोनरी आर्टरी जब ब्लॉक हो जाती है, तब हार्ट मसल्स को नुकसान पहुंचता है और यही हार्ट अटैक की स्थिति बनाता है। मेडिकल साइंस इन शुरुआती संकेतों को प्रोड्रोमल सिम्प्टम्स कहता है, जो समय रहते पहचान लिए जाएं तो जान बचाई जा सकती है।
अटैक से सात दिन पहले शरीर जिन आठ लक्षणों से चेतावनी देता है, उनमें सबसे आम है सीने में दबाव या दर्द जो कभी-कभी बाएं हाथ, कंधे या जबड़े तक भी फैल सकता है। सांस फूलना, मामूली चलने में भी सांस उखड़ना, अचानक और लगातार थकान महसूस होना, दिल की धड़कन का तेज होना और बिना मेहनत के भी ठंडा पसीना आना ये सभी हार्ट अटैक के संकेत हो सकते हैं। इसके अलावा कई बार पेट में जलन, बदहजमी, उल्टी जैसा लगना, चक्कर आना, नींद न आना, बेचैनी और बिना कारण घबराहट महसूस होना भी खतरे की घंटी है। खासकर महिलाओं में यह दर्द चेस्ट में नहीं, बल्कि अत्यधिक थकान, पेट दर्द और घबराहट के रूप में दिखाई देता है। इस स्थिति में सबसे जरूरी बात है समय की।
मेडिकल साइंस कहता है कि टाइम इंड मुस्कले यानी जितनी देर होगी, दिल की मांसपेशियां उतनी ज्यादा डैमेज होंगी। अगर कोई भी संकेत महसूस हो तो घबराएं नहीं, लेकिन नजरअंदाज भी न करें। तुरंत अपने किसी नजदीकी को बताएं, डॉक्टर को दिखाएं, ईसीजी कराएं और ज़रूरत पड़े तो एंबुलेंस बुलाएं ताकि इलाज समय रहते शुरू हो सके। याद रखें, हार्ट अटैक न उम्र देखता है, न चेहरा। आपकी जागरूकता ही आपकी सबसे बड़ी सुरक्षा है। एक समय था जब हार्ट अटैक को बुजुर्गों की बीमारी माना जाता था, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं।
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