अहमदाबाद | गुजरात हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के एक मामले में बड़ा फैसला दिया है| हाईकोर्ट ने कहा कि कोई व्यक्ति बालिग महिला के साथ वादा करता है और उसके बाद उन दोनों के बीच शारीरिक संबंध बनते हैं तो उस व्यक्ति पर दुष्कर्म का मुकद्दमा चलाया नहीं जा सकता| उस व्यक्ति पर तब भी दुष्कर्म का केस नहीं चल सकता है, जब वह व्यक्ति अपना वादा निभाने में असफल रहा हो| हाईकोर्ट ने कहा कि पुरुष को तभी दोषी ठहराया जा सकता है जब यह साबित हो जाए कि शादी का वादा बिना किसी इरादे से किया गया हो| क्योंकि यही एक मात्र कारण था जिसके कारण महिला ने शारीरिक संबंध बनाने की सहमति दी थी| गुजरात हाईकोर्ट के न्यायधीश दिव्येश जोशी ने अपने आदेस में कहा कि उपर्युक्त प्रावधान का सरसरी तौर पर अवलोकन करने से यह स्पष्ट हो जाता है कि पूरे प्रावदान में किसी व्यक्ति द्वारा किसी महिला के साथ दुष्कर्म करने के बारे में एक शब्द भी नहीं है जो उसका प्रेमी है| क्योंकि प्यार शब्द अपने आप में सहमति को दर्शाता है| हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि धारा 376(2)(जे) उस महिला से संबंधित है जो सहमति देने में असमर्थ है, जिसका अर्थ है कि वह या कम उम्र की लड़की है जो उसके द्वारा दी जा रही सहमति के परिणामों को समझने के लिए पर्याप्त रूप से परिपक्व नहीं है, या मानसिक रूप से विकलांग लड़की या महिला है| हाईकोर्ट ने कहा कि अब सवाल यह बनता है कि क्या आरोपी द्वारा महिला से शादी के वादे पर इतना भरोसा किया जा सकता है कि आरोपी को बलात्कार के अपराध में दोषी ठहराया जा सके| इसका जवाब नहीं है| हर मामले में पुरुष जहां किसी महिला से वादे के बावजूद शादी करने में विफल रहता है तो उसे बलात्कार के अपराध के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। हाईकोर्ट ने कहा कि पुरुष को तभी दोषी ठहराया जा सकता है जब यह साबित हो जाए कि बिना किसी इरादे के शादी का वादा किया गया था और यही एकमात्र कारण था कि महिला उसके साथ यौन संबंध बनाने के लिए सहमत हुई। झूठे वादे और वादे के उल्लंघन के बीच अंतर पर संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि झूठा वादा एक ऐसे वादे से संबंधित है जिसे आरोपी का शुरू से निभाने का कोई इरादा नहीं था। हाईकोर्ट ने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे कि अगर कोई लड़का किसी से प्यार करता है, तो वह किसी दूसरे साथी के साथ संबंध बना सकता है| अगर उसके परिवार वाले उसे किसी और से शादी करने के लिए मजबूर करते हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि वादा किया गया था| हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाते हुए एक पुरुष के खिलाफ दर्ज दुष्कर्म का मामला खारिज कर दिया| हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि हर मामले में जहां कोई पुरुष ऐसे वादे के बावजूद किसी महिला के साथ यौन संबंध बनाता है और शादी नहीं करता है तो वह आईपीसी की धारा 376 के तहत बलात्कार के अपराध का दोषी नहीं है।