बजट तीन साल तक है और वित्तीय वर्ष 2026-27 तक चलेगा
नई दिल्ली । केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री जेपी नड्डा ने भारत के चिकित्सा उपकरण उद्योग को मजबूत प्रदान करने के लिए 500 करोड़ रुपये की योजना को प्रारंभ किया है। इस योजना का उददेश्य मुख्य घटकों और सहायक उपकरणों का निर्माण, कौशल विकास, क्लिनिकल स्टडीज का समर्थन, सामान्य इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास और उद्योग को बढ़ाने पर होगा। बताया जा रहा है कि इस योजना का शुरुआती बजट 500 करोड़ रुपये होगा, जो तीन साल तक के लिए है और वित्तीय वर्ष 2026-27 तक चलेगा। इस योजना में पांच घटक शामिल हैं, जिनमें मेडिकल डिवाइस क्लस्टर्स के लिए सामान्य सुविधाएं, क्षमता निर्माण और कौशल विकास, आयात निर्भरता को कम करने के लिए एक सीमित निवेश योजना, क्लिनिकल स्टडीज का समर्थन और एक मेडिकल डिवाइस प्रमोशन योजना शामिल हैं। इस योजना के तहत, भारत में लगभग 20 मेडिकल डिवाइस क्लस्टर्स के लिए शोध और विकास लैब्स, डिजाइन और टेस्टिंग सेंटर और पशुओं के लैब्स जैसी सामान्य सुविधाओं का निर्माण करके इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए 110 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इसमें टेस्टिंग सेंटरों को बढ़ना भी शामिल होगा। रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि सामान्य सुविधाओं के लिए 20 करोड़ रुपये और टेस्टिंग सुविधाओं के लिए 5 करोड़ रुपये तक का अनुदान प्रदान किया जाएगा। इसी तरह मेडिकल डिवाइसों के निर्माण में उपयोग किए जाने वाले प्रमुख घटकों और कच्चे माल के उत्पादन को प्रोत्साहित करके वैल्यू चेन को बढ़ाने के लिए सीमांत निवेश योजना के लिए 180 करोड़ रुपये की रूपरेखा तैयार की गई है, जिससे आयात निर्भरता कम होगी। यह उप-योजना 10-20 प्रतिशत की एकमुश्त पूंजी सब्सिडी प्रदान करती है, जिसकी अधिकतम सीमा प्रति परियोजना 10 करोड़ रुपये है। सरकार चिकित्सा उपकरणों की क्लिनिकल स्टडीज के लिए 100 करोड़ रुपये की सहायता योजना भी प्रदान करेगी, जिससे डेवलपर्स और निर्माताओं को पशु अध्ययन के लिए वित्तीय सहायता के लिए आवेदन करने और सफल होने पर मेडटेक उत्पादों को मान्य करने के लिए मानव परीक्षणों के लिए आवेदन करने में सक्षम बनाया जा सकेगा। जबकि इस सेक्टर में कौशल विकास के लिए 100 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं, मेडिकल डिवाइस उद्योग को बढ़ावा देने के लिए अतिरिक्त 10 करोड़ रुपये का उपयोग किया जाएगा।